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मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग से ही दही हांडी की परंपरा चली आ रही है /07 Sep 2023 10:34 AM/    223 views

जनमाष्टमी के अगले दिन दही हांडी मनाया जाएगा

वर्ष 2023 में किस मनाया जाएगा दही हांडी महोत्सव?
सोनिया शर्मा
नई दिल्ली ।  हम सभी जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण को दूध से बनी चीजें, खासकर मक्खन कितना प्रिय है। उनकी उपासना में मक्खन, दूध, दही इत्यादि का भोग अवश्य लगाया जाता है। वेद एवं ग्रंथों में भी यह भी वर्णित है कि बाल लीलाओं के समय भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों की हांडियों से मक्खन या दही खाया करते थे। इसी लीला को आज भी उत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिसे दही हांडी के नाम से जाना जाता है। दही हांडी पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी जन्माष्टमी के अगले दिन हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। दही हांडी महाराष्ट्र, गुजरात सहित पूरे भारत में हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को श्गोपाल कलाश् के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुसार द्वापर युग से ही दही हांडी की परंपरा चली आ रही है। आइए जानते हैं, वर्ष 2023 में किस मनाया जाएगा दही हांडी महोत्सव और इसका महत्व?
 
दही हांडी 2023 तिथि
पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि तिथि का समापन 07 सितंबर 2023 शाम 04रू14 पर होगा और इसी समय से नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। ऐसे में दही हांडी का पर्व 07 सितंबर 2023, गुरुवार के दिन हर्षाेल्लास के साथ मनाया जाएगा।
 
क्यों मनाया जाता है दही हांडी का पर्व
भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला की कथाओं में माखन चुराकर खाने की कथा भी बहुत प्रचलित है। भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के साथ आस-पड़ोस के घरों में जाकर दही और माखन चोरी करके खाते थे। चोरी होने के डर से सभी गोपियों ने दही और माखन की हांडी को घरों की छत पर लटकाना शुरू कर दिया। लेकिन श्री कृष्ण और उनके सभी सखा मानव श्रृंखला बनाकर हांडी तक पहुंच जाते थे और चाव से माखन खाते थे। सबसे ऊपर श्री कृष्ण रहते। तब से श्री कृष्ण की इस लीला को दही हांडी उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा।

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