सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। चौत्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मां कुष्मांडा देवी की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जिस समय सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब मां कुष्मांडा से ही इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी। धार्मिक मान्यता यह भी है कि मां कुष्मांडा सूर्य मंडल के भीतर लोक में निवास करती हैं। इनका स्वरूप सूर्य के समान तेजवान है और इनकी आराधना करने से आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। आज के दिन संध्या काल में देवी कूष्मांडा की उपासना करने से और कुछ विशेष मंत्रों का जाप करने से साधक को विशेष लाभ मिलता है। आइए पढ़ते हैं देवी कुष्मांडा के मंत्र स्तोत्र और आरती।