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रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में प्रभावित हुई ऑक्सिजनेटर की आपूर्ति

अभाव में बड़ी संख्या में मरीजों की सर्जरी प्रभावित हो रही

23 Oct 2022 12:21 PM 508 views

 रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत में प्रभावित हुई ऑक्सिजनेटर की आपूर्ति

राहुल शर्मा
नई दिल्ली । रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। भारत भी इससे अछूता नहीं है। युद्ध के कारण भारत में ऑक्सिजनेटर की आपूर्ति प्रभावित हुई है। ऑक्सिजनेटर का इस्तेमाल दिल के मरीजों की सर्जरी में होता है। इसके अभाव में बड़ी संख्या में मरीजों की सर्जरी प्रभावित हो रही है। ऐसे में दिल्ली एम्स ने इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को ही प्राथमिकता देने के लिए प्रोटोकॉल बनाया है। अस्पताल का कहना है कि रूटीन सर्जरी के लिए ऑक्सिजनेटर को रोटेट किया जा सकता है। एम्स ने कहा ऑक्सिजनरेटर की ऑपरेटिंग रूम में कमी है और इस कमी के भविष्य में जारी रहने की उम्मीद है, ऐसे में मरीजों की सुचारू देखभाल सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा ऑक्सिजनरेटर का एसओपी के अनुसार उपयोग किया जाए। अतरू सभी डॉक्टर्स से उम्मीद है कि वह इन दिशानिर्देशों का पालन करेंगे। उपलब्ध ऑक्सिजनरेटर की स्थिति का अमूमन शाम को पता चलता है, इसलिए सभी डॉक्टर्स से अपील है कि वह अगले दिन के अपने केस के बारे में पूर्व सूचना दें। सभी से अनुरोध है कि वे स्टोर स्टाफ पर उन्हें पहले ऑक्सिजनरेटर देने के लिए दबाव न बनाएं। हर सुबह 7-8 बजे के बीच स्टोर से ऑक्सिजनेटर आवंटित किए जाएंगे। रूटीन मरीजों की तुलना में ऑक्सिजनेटर  आवंटित करने में उन मरीजों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनकी जिंदगी खतरे में है। रूटीन सर्जरी के लिए ऑक्सिजनेटर को रोटेशन के आधार पर आवंटित किया जाएगा। ऑक्सीजनेटर एक चिकित्सा उपकरण है, जिसका उपयोग सर्जिकल प्रक्रिया के दौरान मरीज के खून में ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान-प्रदान करने के लिए होता है। शरीर की नसों या अंगों में खून के प्रवाह को रोकने या खत्म करने में इसकी आवश्यकता होती है। यह अंग हृदय, फेफड़े या लीवर हो सकते हैं। जबकि नसों में एओर्टा, पल्मोनरी आर्टरी, पल्मोनरी वेंस और वेना केवा शामिल हैं। ऑक्सीजनेटर मरीज के फेफड़े का विकल्प होता है और ऑक्सीजन-कार्बन डाईऑक्साइड के एक्सचेंज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। फेफड़े और ऑक्सीजनेटर के बीच कई समानताएं है। जैसे दोनों में गैस और खून के लिए स्पेस होता है। दोनों पैसिव डिफ्यूजन ग्रेडिएंट्स के जरिए संचालित होते हैं और दोनों गैस से खून को अलग करने के लिए एक मेंमब्रेन (झिल्ली) का उपयोग करते हैं।