मास्को (ईएमएस)। यूक्रेन को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाने के लिए राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन कुछ भी करने को तैयार हैं। वह परमाणु हमलों की भी धमकी दे चुके हैं। यूक्रेन के साथ जारी युद्ध के बीच उन्होंने द्वित्तीय विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रूस में लामबंदी करने का आदेश जारी किया है। उन्होंने बड़ी संख्या में सैनिकों को बुलाया है। विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के आह्वान पर संघर्ष से जुड़ने वाले ये सैनिक भी युद्ध जीत नहीं पाएंगे। वे अधिकतम युद्ध को कुछ और दिन तक खीचने में अपना योगदान दे सकते हैं।
राष्ट्रपति पुतिन द्वारा आंशिक लामबंदी का आदेश देने के बाद युद्ध के लिए सेना की तैयारी शुरू हो गई है। ब्लादिमिर पुतिन का यह संकल्प सवालों से घिर गया है, अभी तक इसे भी गुप्त रखा गया है कि इसमें कितने सैनिक और शामिल होने वाले हैं, हालांकि रूसी मीडिया के मुताबिक 10 लाख और सैनिक बुलाए जाएंगे। रूस में अन्य अज्ञात लोगों ने बड़े पैमाने पर ट्रेनिंग की कोचिंग में दाखिला लेना शुरू कर दिया है।
इसके बाद भी दावा किया जा रहा है कि रूस के सैनिक युद्ध नहीं जीत सकते? अमेरिका के युद्ध विशेषज्ञों का मानना है कि रूस ने 7 महीने से ज्यादा तक चले युद्ध में अपने हथियारों का भारी इस्तेमाल कर यूक्रेन के क्षेत्रों पर कब्जा पाया है, अब रूस के पास गुणवत्ता सैनिक नहीं बचे हैं, युद्ध में भारी तबाही हुई है। ऐसा नहीं है कि यूक्रेन के लोगों को ही क्षति पहुंची है, युद्ध में बड़ी संख्या में रूसी सैनिक भी मारे गए हैं। अमेरिका इस युद्ध में यूक्रेन के साथ खड़ा है, वह तरह-तरह के हथियारों की आपूर्ति कर रहा है, इसलिए यूक्रेन के सैनिक जबरदस्त पलटवार कर सके हैं। अब केवल परमाणु अटैक ही रूस के तरकस में एकमात्र ऐसा तीर दिखाई देता है, जो स्थितियों पर पलट सकता है, लेकिन इस विकल्प पर आगे बढ़ने के पहले रूस स्वयं सौ बार विचार करेगा।