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न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई /28 Jan 2023 03:34 PM/    699 views

नागरिकों को संसद में याचिका लगाने का अधिकार देने के लिए सुप्रीम कोर्ट में लगी याचिका

सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। नागरिकों को संसद में याचिका दायर करने और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर विचार-विमर्श शुरू करने का अधिकार प्रदान करने के लिए एक उचित प्रणाली बनानी चाहिए। इसके लिए केंद्र और अन्य को निर्देश देने की मांग करने वाली याचिका उच्चतम न्यायालय में दायर की गई है। याचिका शुक्रवार को न्यायमूर्ति के एम जोसेफ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई। पीठ ने याचिकाकर्ता करण गर्ग की ओर से पेश वकील रोहन जे अल्वा को कहा कि वह याचिका की एक प्रति केंद्र के वकील को दें। साथ ही मामले की अगली सुनवाई फरवरी में करने की बात कही है।
 
आम आदमी के मुद्दों पर संसद में शुरू हो बहस
याचिका में एक घोषणा करने की मांग की गई है कि संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (ए) और 21 के तहत यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है कि वे सीधे संसद में याचिका दायर करें, ताकि याचिका में आम लोगों के द्वारा उजागर किए गए मुद्दों पर बहस, चर्चा और विचार-विमर्श शुरू किया जा सके।
’वर्तमान रिट याचिका में प्रार्थना की गई है कि प्रतिवादियों (केंद्र और अन्य) के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाना जरूरी है कि नागरिकों की आवाज को बिना किसी बाधा और कठिनाइयों का सामना किए संसद में सुनी जा सके।’
 
वोट देने के बाद नागरिक के पास कोई अधिकार नहीं
याचिका में कहा गया है कि देश के एक सामान्य नागरिक के रूप में जब लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने की बात आती है, तो वह महसूस करता है कि उसके पास कोई अधिकार नहीं है। लोगों द्वारा वोट डालने और प्रतिनिधियों को चुनने के बाद आगे किसी भी भागीदारी की कोई गुंजाइश नहीं होती है।
 
कानून बनाने की प्रक्रिया से अलग हो जाते हैं लोग
याचिका में कहा गया है कि किसी भी औपचारिक तंत्र का पूर्ण अभाव है, जिसके द्वारा नागरिक सांसदों के साथ जुड़ सकते हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा सकते हैं कि संसद में महत्वपूर्ण मुद्दों पर बहस हो। इस तंत्र की अनुपस्थिति निर्वाचित प्रतिनिधियों और नागरिकों के बीच एक शून्य पैदा करती है। लोग कानून बनाने की प्रक्रिया से अलग हो जाते हैं।
 
याचिका में कहा गया है कि भारतीय लोकतंत्र में पूरी तरह से भाग लेने के लिए नागरिकों को उनके निहित अधिकारों से दूर करना गंभीर चिंता का विषय है। यह एक ऐसा मुद्दा है, जिसे तुरंत सही करने की जरूरत है।

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    ihl1kc

    07 Feb 2023 02:37 PM

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