राहुल शर्मा
दिल्ली। अनारकली गार्डन जगतपुरी स्थित श्री राजमाता जी मंदिर में होलाष्टक के अवसर पर आयोजित होली मिलन महोत्सव मे स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने कहा कि तप, साधना में अहंकार शुभ नही बल्कि अनिष्ट फल प्रदान करेगा ।
संस्थान के सहप्रबंधक राम वोहरा ने बताया कि स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज के सान्निध्य में “होली के रंग्संतो के संग“ महोत्सव में भजन कीर्तन करते हुए भक्त समूह द्वारा प्राकृतिक फूलों को एक दूसरे पर वर्षा करते हुए होली उत्सव मनाया गया।सर्वप्रथम स्वामी जी द्वारा मंदिर में प्रतिष्ठित देवी देवताओं के श्री विग्रहों पर चंदन तिलक के साथ पुष्पवर्षा की गई तत्पश्चात पंक्तिबद्ध भक्तजनों ने स्वामी जी के कर कमलों से मस्तक पर चंदन का तिलक लगाकर आशीर्वाद प्राप्त किया।“होली रे रसिया बलजोरी रे रसिया“ एवम “होली खेल रहे नंदलाल वृंदावन कुंज गलियों में“आदि भजनों की धुन पर बृज रास लीला का वातावरण दिखाई दे रहा था।भक्तिरस से सरोबार कीर्तन के बाद भक्तजनों के लिए सुंदर भंडारे की व्यवस्था भी की गई थी। इस अवसर पर स्वामी श्री राजेश्वरानंद जी महाराज ने भक्तसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि “होली का पावन पर्व मात्र हुडदंग,शोर शराबे से नही अपितु स्वयं भक्तिरस में रंगकर दूसरो को भी आनंद प्रदान करने का सुंदर मार्गदर्शन प्रदान करता है। सही मायने में होली का सार्थक प्रयोग होना चाहिए जितनी ईर्ष्या वैरभाव,निंदा होनी थी हो्ली। अब प्रेम सद्भाव भाईचारे के साथ मिलकर मनाओ होली। सदगुरु महाराज की आरती सर्व कल्याण अरदास के साथ महोत्सव संपन्न हुआ।