भारत पर बढ़ा दुनिया का भरोसा
पवन शर्मा
नई दिल्ली । भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में तेजी से उभर रही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की रिपोर्ट में कहा गया है कि हमारा आर्थिक गतिविधि सूचकांक (ईएआई) अब 2023-24 की तीसरी तिमाही के लिए सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 7 प्रतिशत रखता है। पहले विकास दर 6.5 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था। इसके अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था ने 2023-24 में उम्मीद से अधिक मजबूत वृद्धि दर्ज की, जो उपभोग से निवेश की ओर बदलाव के साथ-साथ पूंजीगत व्यय पर सरकार के जोर के साथ निजी निवेश में वृद्धि पर आधारित है। अर्थव्यवस्था की स्थिति पर रिपोर्ट के अनुसार प्रतिकूल आधार प्रभावों के कारण उच्च खाद्य मुद्रास्फीति के कारण दिसंबर में हेडलाइन मुद्रास्फीति में मामूली वृद्धि दर्ज की गई। साथ ही रिपोर्ट वैश्विक मंदी के कारण नकारात्मक जोखिमों को भी चिन्हित करती है। विश्व अर्थव्यवस्था को निकट भविष्य में विकास की भिन्न-भिन्न संभावनाओं का सामना करना पड़ रहा है। रिपोर्ट यह भी बताती है कि खुदरा और सेवा क्षेत्रों को ऋण देने से भारतीय बैंकों (एससीबी) की समेकित बैलेंस शीट में लगातार विस्तार हुआ है। उच्च शुद्ध ब्याज आय और कम प्रावधान ने शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) और लाभप्रदता को बढ़ावा दिया। सितंबर 2023 के अंत में सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात 3.2 प्रतिशत होने के साथ परिसंपत्ति गुणवत्ता में भी लगातार सुधार हुआ है। गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की समेकित बैलेंस शीट का भी विस्तार हुआ, जिसका नेतृत्व किया गया दोहरे अंक की ऋण वृद्धि हुई, जबकि लाभप्रदता और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार हुआ और सीआरएआर नियामक आवश्यकता से अधिक रहा। रिपोर्ट में बैंकों और एनबीएफसी के बीच बढ़ते अंतर-संबंध को चिह्नित किया गया है और कहा गया है कि एनबीएफसी को अपने फंडिंग स्रोतों को व्यापक बनाने और बैंक फंडिंग पर अत्यधिक निर्भरता को कम करने की जरूरत है।