सोनिया शर्मा
नई दिल्ली । दिल्ली में पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का हिस्सा गुरुवार को बढ़कर 38 प्रतिशत हो गया। विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली में छाई कोहरे की मोटी परत के पीछे यही वजह है। पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि से राजनीतिक वाकयुद्ध छिड़ गया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि पंजाब में 2021 की तुलना में इस साल पराली जलाने की घटनाएं 19 फीसद बढ़ी है, और यह भी कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली को गैस चौंबर बना दिया है।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पलटवार कर पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार को जवाबदेह ठहराकर कहा कि यदि वह वायु प्रदूषण नियंत्रित नहीं कर सकती है, तब पीएम मोदी को इस्तीफा दे देना चाहिए। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत आने वाली मौसम पूर्वानुमान एजेंसी सफर के संस्थापक परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का हिस्सा बढ़कर करीब 38 हो गया है, जो बहुत ज्यादा है।’ उन्होंने कहा कि नोएडा में वायु प्रदूषण बदतर है, क्योंकि यह पराली जलाने से निकलने वाले धुएं के मार्ग में है।
बेग ने कहा, गुरूग्राम और लोधी रोड इस धुएं के रास्ते में नहीं हैं, इसलिए वे कम से कम प्रभावित हुए हैं। खेतों में पराली जलाने तथा यहां रात में हवा स्थिर रहने के कारण दिल्ली की वायु गुणवत्ता बृहस्पतिवार सुबह गंभीर स्थिति में पहुंच गई। सुबह नौ बजे यहां वायु गुणवत्ता 419 रही। बेग ने कहा, दिल्ली में संपूर्ण वायु गुणवत्ता शुक्रवार सुबह तक गंभीर श्रेणी में रहेगी। उसके बाद थोड़ा सुधार होगा। वहीं शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट की से जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के अनुसार दिल्ली के लोगों की जीवन प्रत्याशा घटिया वायु गुणवत्ता के चलते 10 साल घट गई हैं।