न्यूर्याक । एक ताजा अध्ययन में बड़ा खुलासा हुआ है कि एक्सट्रीम वेदर हार्ट और अन्य कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से जूझ रहे लोगों की मौत की वजह बन सकता है। नई रिसर्च में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज और मौसम के कनेक्शन को लेकर कौन सी बड़ी बातें सामने आई हैं। एक नई रिसर्च में पता चला है कि अत्यधिक ठंडा या हद से ज्यादा गर्म मौसम कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से जूझ रहे लोगों में मौत का खतरा बढ़ा देता है। जानकारों की मानें तो ज्यादा ठंडे मौसम में हार्ट की धमनियां सिकुड़ जाती हैं और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। एक्सट्रीम वेदर की वजह से स्ट्रोक और हार्ट फेलियर समेत कई गंभीर दिक्कतें हो सकती हैं जो मौत की वजह बनती हैं। ऐसे मौसम में लोगों को हार्ट का खास ख्याल रखना चाहिए। इस रिसर्च में शोधकर्ताओं ने 1979 से 2019 तक 5 महाद्वीप के 27 देशों में हुई कार्डियोवैस्कुलर मौतों के डाटा का एनालिसिस किया है। करीब 3ण्20 करोड़ ;32 मिलियनद्ध लोगों के डाटा के आधार पर यह रिसर्च रिपोर्ट तैयार की गई है। इसमें यह भी पता चला है कि ग्लोबल वॉर्मिंग और क्लाइमेट चेंज का लोगों की हेल्थ पर बुरा असर पड़ रहा है। इसकी वजह से ही मौसम में अत्यधिक बदलाव हो रहा है और तापमान में तेजी से बदलाव आ रहा है।शोधकर्ताओं का कहना है कि दुनियाभर में अत्यधिक कम या ज्यादा टेंपरेचर हार्ट डिजीज के मरीजों की मौत की बड़ी वजह बन रहा है।इस रिसर्च में बताया गया है कि ज्यादा गर्म तापमान की वजह से दुनियाभर में कार्डियोवैस्कुलर पेशेंट्स की हर 10 हजार मौतों पर 22 लोगों की अतिरिक्त मौत हो रही हैं। जबकि बेहद कम तापमान की वजह से 91 अतिरिक्त लोगों की मौत हो रही हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि ऐसे लोगों को मौत से बचने के लिए अतिरिक्त ठंडे या बेहद गर्म तापमान में नहीं रहना चाहिए। ऐसे लोगों को एक्सट्रीम वेदर में अपना खास ख्याल रखना चाहिए। बता दें कि मौसम का मिजाज बदलने से लोगों की जिंदगी काफी हद तक प्रभावित होती है। जब मौसम अत्यधिक ठंडा या बेहद गर्म हो जाए तब यह आपके लिए जानलेवा भी साबित हो सकता है।