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युद्ध में तबाह 6 हजार भवन और फसल हुई मलबे में तब्दील

रिमाल इलाके को गाजा का सबसे समृद्ध इलाका कहा जाता था

14 Dec 2023 11:58 AM 149 views

 युद्ध में तबाह 6 हजार भवन और फसल हुई मलबे में तब्दील

तेल अवीब ।  इज्राइल - हमास युद्ध पूर्व करीब 9 हफ्ते पहले तक गाजा स्ट्रिप 20 लाख से ज्यादा लोगों के लिए तंग ही सही, लेकिन सुरक्षित जगह थी। परस्पर प्रतिशोध की कुटु स्पर्धा ने किसानों के खेतों, भवनों और सामूहिक केन्द्रों को खाक कर पूरी मानवता को रुदन के लिए विवश कर दिया है।  यहां की गाजा पोर्ट को फिशिंग इंडस्ट्री की लाइफ लाइन कहा जाता है। इसके किनारे पर फिश मार्केट यानी मछली बाजार था। यूएन ने नवंबर की शुरुआत में अनुमान लगाया था कि गाजा में करीब 6 हजार इमारतों को नुकसान पहुंचा है। इनमें से एक तिहाई तो मलबे में  तब्दील हो चुकी हैं। इजराइल में 7 अक्टूबर को हमास के हमले के प्रतिउत्तर में इजराइली डिफेंस फोर्सेस के हवाई हमले और ग्राउंड ऑपरेशन ने 21वीं सदी के किसी देश पर हुए भयावह हमलों में तब्दील कर दिया। गाजा में नावों के रुकने के कई स्थान थे। अब यहां गड्ढे नजर आते हैं। रेस्टोरेंट्स और होटल्स हमलों में बर्बाद हो चुके हैं।  रिमाल इलाके को गाजा का सबसे समृद्ध इलाका कहा जाता था। अल्जोंदी अल्माझोल पार्क में अब टैंकों से बने निशान दिखाई देते हैं। फिलिस्तीनी पार्लियामेंट की बिल्डिंग उड़ाई जा चुकी है। जंग शुरू होने के पहले गाजा सिटी की उमर मुख्तार स्ट्रीट मेन रोड थी। यहां सड़क के दोनों तरफ रेस्टोरेंट, बैंक और दुकानें थीं। अब इस सड़क के दोनों तरफ सिर्फ मलबा नजर आता है। इमारतें जमींदोज हो चुकी है। जो बची हैं, वो भी अब रहने लायक नहीं हैं। एक वक्त गाजा के समुद्री किनारे बिजली की कमी से जूझने वाले फिलिस्तीनी परिवारों के लिए तफरी की जगह हुआ करते थे। अब ये किनारे वीरान हैं। अगर कुछ नजर आता है तो इजराइली टैंक्स और बुलडोजर। कुछ मल्टी स्टोरी होटल्स थे। इनमें टूरिस्ट वीजा पर आए लोग रुकते थे। तबाही का यह मंजर गाजा के उत्तरी क्षेत्र तक नजर आता है जहां 7 अक्टूबर को इजराइली सेना ने सबसे पहले  निशाना बनाया था। यहां मकान ढहाए जा चुके हैं। इजराइली सेना ने यहां अस्थायी ठिकाने बना लिए हैं। इस इलाके में कुछ हरियाली भी थी। वो भी नहीं बची। यहां टैंकों के गुजरने के निशान दिखते हैं। एक रिसॉर्ट था, वो भी नहीं बचा। सी-फ्रंट जंग में तबाह हो चुका है। ऊंची इमारतों की जगह अब गहरे गड्ढे नजर आते हैं। शाती नाम की जगह पर साल 1948 में रिफ्यूजी कैम्प बनाया गया था। बाद में यह नॉर्थ गाजा की सबसे घनी आबादी वाला इलाका बन गया। जंग के पहले यहां 90 हजार लोग रहते थे। हवाई हमलों के बाद इमारतें जर्जर हो चुकी हैं। सड़कों पर मलबा बिखरा दिखाई देता है।
इजराइली सेना ने पूर्वी छोर से गाजा में घुसपैठ की और अब उसने इस क्षेत्र को दो हिस्सों में बांट दिया है। उत्तर से दक्षिण जाने वाले रास्तों पर ब्लॉकेड लगा दिए गए हैं। साउथ गाजा में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। रिहाइशी इलाकों को टैंक ट्रैक्स के जरिए दो हिस्सों में बांटा जा चुका है। इमारतें तबाह हो चुकी है। कुछ को काफी नुकसान पहुंचा है। इनमें एक यूनिवर्सिटी भी शामिल है। गाजा में खेतों को टैंकों के तले रौंदा जा चुका है। सड़कें टैंकों का बोझ न सह पाने के चलते टूट चुकी हैं। रिहाइशी इलाकों में ज्यादातर जगहों पर गड्ढे और मलबा है।