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नमामि गंगे मिशन-2 को मिली मंजूरी /14 Feb 2023 01:36 PM/    184 views

20 हजार करोड़ से जीवंत होंगी गंगा और अन्य सहायक नदियां

सोनिया शर्मा
नई दिल्ली । केंद सरकार ने नमामि गंगे कार्यक्रम की जरूरत और प्रसार को देखते हुए वर्ष 2026 तक 22 हजार 500 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ नमामि गंगे मिशन-2 को मंजूरी दे दी है, जिसमें मौजूदा देनदारियों (11 हजार 225 करोड़ रुपए) और मौजूदा देनदारियों के लिए नई परियोजनाएं व हस्तक्षेप (11 हजार 275 करोड़ रुपए) शामिल हैं। नमामि गंगे कार्यक्रम को जून 2014 में 31 मार्च 2021 तक की अवधि के लिए गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों को फिर से जीवंत करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए के बजटीय परिव्यय के साथ शुरू किया गया था। वित्त वर्ष 2014-15 से 31 जनवरी 2023 तक सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमजीसी) को कुल 14,084.72 करोड़ रुपए जारी किए गए हैं, जिसमें से 13,607.18 करोड़ रुपए एनएमजीसी द्वारा राज्य सरकारों को जारी किए गए हैं। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और गंगा कायाकल्प से संबंधित परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए अन्य एजेंसियां कार्य कर रही हैं।
संसद में सोमवार को जल शक्ति मंत्रालय के एक लिखित उत्तर में बताया गया कि नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत अपशिष्ट जल उपचार, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, रिवर फ्रंट प्रबंधन (घाट और श्मशान घाट विकास), ई-प्रवाह, जैसे हस्तक्षेपों का एक व्यापक सेट, गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के कायाकल्प के लिए वनीकरण, जैव विविधता संरक्षण और जनभागीदारी आदि पर काम किया गया है। अब तक 31 दिसंबर 2022 तक 32,912.40 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से कुल 409 परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 232 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और उन्हें चालू कर दिया गया है। मंत्रालय ने बताया कि अधिकांश परियोजनाएं सीवेज इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से संबंधित हैं, क्योंकि अनुपचारित घरेलू या औद्योगिक अपशिष्ट जल नदी में प्रदूषण का मुख्य कारण है। 5,269.87 मिलियन लीटर प्रतिदिन (एमएलडी) सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) क्षमता के निर्माण और पुनर्वास के लिए 26,673.06 करोड़ रुपए की लागत से कुल 177 सीवरेज बुनियादी ढांचा परियोजनाएं शुरू की गई हैं और लगभग 5,213.49 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है।
 
99 सीवरेज परियोजनाएं हुईं पूरी
देश की 99 सीवरेज परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं, जिसके परिणामस्वरूप 2,043.05 एमएलडी एसटीपी क्षमता का निर्माण और पुनर्वास और 4,260.95 किलोमीटर सीवरेज नेटवर्क बिछाया गया है। सीवेज उपचार अवसंरचना के निरंतर संचालन को बनाए रखने के लिए हाइब्रिड वार्षिकी आधारित पीपीपी मोड को भी अपनाया गया है। नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों (एसपीसीबी) के माध्यम से पांच मुख्य स्टेम राज्यों में 97 स्थानों पर गंगा नदी के जल गुणवत्ता मूल्यांकन के लिए अध्ययन कर रहा है।

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