सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने पिछले तीन वित्तवर्षों में 3.66 लाख करोड़ रुपये का भारी भरकम कर्ज माफ कर दिया। भारतीय रिजर्व बैंक के हवाले से सोमवार को वित्त मंत्रालय ने लोकसभा को सूचित किया कि पिछले पांच वर्षों में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (एससीबी) ने लगभग 10.6 लाख करोड़ रुपये माफ कर दिए, जिनमें से लगभग आधे ऋण बड़े उद्योगों और सेवा क्षेत्र को दिए गए। इन बैंकों ने इस अवधि के दौरान केवल 1.9 लाख करोड़ रुपये की वसूली की। केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में कहा, साल 2020-23 में बैंकों द्वारा कुल 2.09 लाख करोड़ रुपये के ऋण माफ किए गए, जिनमें से 52.3 प्रतिशत बड़े उद्योगों और सेवाओं से जुड़ा था। आरबीआई द्वारा प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश के बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक खराब ऋणों की वसूली में धीमे रहे हैं। वित्त वर्ष 2022-23 में देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई ने 24,061 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए, जबकि इसकी वसूली केवल 13,024 करोड़ रुपये थी। आरटीआई आंकड़ों के मुताबिक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 17,998 करोड़ रुपये बट्टे खाते में डाल दिए, जबकि इसकी कुल वसूली महज 6,294 करोड़ रुपये रही। केनरा बैंक, 11,919 करोड़ रुपये की कुल ऋण वसूली के साथ एक अपवाद प्रतीत होता है, जो साल 2022-23 में बट्टे खाते में डाले गए 4,472 करोड़ रुपये के ऋण की राशि से अधिक है।