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मुर्गे और बत्तख में फैलता है वायरस /01 Jul 2023 12:23 PM/    752 views

एच7एन9 वायरस के मामले बढ़े

सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। विज्ञानियों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने एक ऐसे जीन की पहचान की है जो बर्ड फ्लू के वायरस को इंसानों में फैलने से रोकने में सक्षम है। शोधकर्ताओं ने एक मानव प्रोटीन  का पता लगाया है जो एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस  को रोकता है। इस अध्ययन का निष्कर्ष नेचर जर्नल में प्रकाशित किया गया है। एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस, जिसे आमतौर पर बर्ड फ्लू भी कहा जाता है, मुख्य रूप से बत्तख और मुर्गे जैसे पक्षियों में फैलता है। 2022 के बाद से दुनियाभर में घरेलू और जंगली दोनों पक्षियों में बर्ड फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी हुई है। एवियन इन्फ्लूएंजा ए वायरस के हालिया प्रकोप से दुनियाभर में रिकार्ड संख्या में पक्षियों की मौत हुई है। एक अध्ययन में पाया गया कि यह वायरस ऊदबिलाव, समुद्री शेर, लोमड़ियों, डाल्फिन, सील, बिल्लियों सहित अन्य जीवों में भी फैल गया है। इस वायरस के बढ़ते प्रकोप पर विज्ञानियों ने गंभीर चिंता जताई है। पक्षियों से अन्य जीवों में फैलने की प्रवृत्ति से बर्ड फ्लू अगली महामारी  कारण बन सकता है। हालांकि दुर्लभ इन्फ्लूएंजा वायरस कभी-कभी ही इंसानों को संक्रमित करता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, 2003 से 2023 तक, विश्व स्तर पर 21 देशों से इन्फ्लूएंजा ए  से संक्रमण के कुल 873 मानव मामले और 458 मौतें दर्ज की गई हैं।
 
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि मौसमी इंसानी फ्लू वायरस की तुलना में जो मानव आबादी को नियमित रूप से संक्रमित करते हैं, जीन मानव कोशिकाओं में एवियन फ्लू की प्रतिकृति को अवरुद्ध करने में सक्षम है। अध्ययन में विज्ञानियों ने  वायरस के मामले पर भी प्रकाश डाला, जिसने साल 2013 में 40 प्रतिशत मृत्यु दर के साथ 1,500 से अधिक मनुष्यों को संक्रमित किया था। टीम ने पाया कि इन उपभेदों में आनुवांशिक उत्परिवर्तन होता है, जो उन्हें  जीन के खिलाफ प्रभावों से बचाता है। अध्ययन के प्रमुख लेखक रूट मारिया पिंटो ने बताया कि पक्षियों में पहली बार उभरने पर 3 प्रतिरोधी वैरिएंट की पहचान करने से मानव में वायरस के संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। उभरते एवियन फ्लू वायरस के खिलाफ नियंत्रण उपायों को विशेष रूप से उन लोगों के खिलाफ तैयार किया जा सकता है, जो जूनोटिक ट्रांसमिशन  के लिए महत्वपूर्ण माने जाने वाले अन्य आनुवांशिक लक्षणों के अलावा 3।3-प्रतिरोधी हैं। अध्ययन से पता चलता है कि इस जीन के प्रति प्रतिरोध होना इस बात में महत्वपूर्ण कारक हो सकता है कि किसी फ्लू स्ट्रेन में मानव महामारी की संभावना है या नहीं। सीवीआर के निदेशक प्रोफेसर मासिमो पामारिनी ने बताया कि मानव महामारी की क्षमता वाले अधिकांश उभरते वायरस जानवरों से आते हैं। इसलिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन-सी आनुवांशिक बाधाएं किसी पशु वायरस को मानव कोशिकाओं में स्थान बनाने से रोक सकती हैं, इससे संक्रमण को रोकने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि यह जरूर है कि वायरस लगातार अपना स्वरूप बदल रहे हैं और समय के साथ उत्परिवर्तन करके संभावित रूप से इनमें से कुछ बाधाओं को दूर कर सकते हैं। यही कारण है कि वायरस की आनुवंशिक निगरानी हमें ज़ूनोटिक और महामारी क्षमता वाले वायरस के प्रसार को बेहतर ढंग से समझने और नियंत्रित करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण होगी।

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