Tue, Apr 30, 2024
image
मानवीय अंतःकरण की विकसित चेतना तभी अनुभव की जा सकेगी /13 Apr 2024 11:06 AM/    20 views

अमिट है कर्म का फल

यदि कर्म का फल तुरंत नही मिलता है तो यह नही समझना चाहिए कि उसके भले-बुरे परिणाम से हम सदा के लिए बच गये। कर्मफल ऐसा अमिट तथ्य है जो आज नहीं तो कल भुगतना ही पड़ेगा। कभी-कभी परिणाम में देर इसलिए होती है क्योंकि ईश्वर मानवीय बुद्धि की परीक्षा चाहता है कि व्यक्ति कर्त्तव्य धर्म समझने और निष्ठापूर्वक पालन करने लायक विवेक बुद्धि संचय कर सका है या नही। जो दंड भय बिना सदा सत्कर्मो तक सीमित रहता है, समझना चाहिए उसने सज्जनता की परीक्षा पास कर पशुता से देवत्व की ओर बढ़ने का शुभारंभ कर दिया। दंडभय से तो विवेक रहित पशु को भी अवांछनीय मार्ग पर चलने से रोका जा सकता है। मानवीय अंतःकरण की विकसित चेतना तभी अनुभव की जा सकेगी, जब वह कुमार्ग पर चलने से रोक सन्मार्ग के लिए प्रेरणा प्रदान करे।  यदि हर काम का तुरंत दंड मिलता और ईश्वर बलपूर्वक किसी मार्ग पर चलने के लिए विवश करता तो फिर मनुष्य भी पशु-श्रेणी में होता और उसकी स्वतंत्र आत्म चेतना विकसित हुई या नही, इसका पता नही चलता। ईश्वर या खुदा ने मनुष्य को भले-बुरे कर्म की स्वतंत्रता इसीलिए दी है कि वह विवेक विकसित कर भले-बुरे का अंतर सीख पथ निर्माण में समर्थ हो। विवेक व कर्त्तव्य परायणता दो ही कसौटी हैं मनुष्यता के आत्मिक स्तर विकसित होने की। इस विकास पर ही जीवनोद्देश्य की पूर्ति और मनुष्य जन्म की सफलता निहित है।  
यदि ईश्वर को प्रतीत होता कि बुद्धियुक्त मनुष्य पशुओं जैसा ही मूर्ख रहेगा तो शायद उसने उसके लिए भी दंड की व्यवस्था सोची होती। झूठ बोलते ही जीभ में छाले पड़ने, चोरी करते ही हाथ में फोड़ा होने जैसे दंड की तुरत-फुरत व्यवस्था होती तो किसी के लिए भी दुष्कर्म करना संभव न होता लेकिन ऐसे में मनुष्य की स्वतंत्र चेतना, विवेक बुद्धि व आंतरिक महानता विकसित होने का अवसर ही न आता और आत्म विकास के बिना पूर्णता का लक्ष्य पाने की दिशा में प्रगति न होती। अतः परमेर के लिए उचित था कि मनुष्य को अपना सबसे बुद्धिमान और जिम्मेदार बेटा समझ उसे कर्म की स्वतंत्रता प्रदान करे और देखे कि वह मनुष्यता का उत्तरदायित्व संभालने में समर्थ है कि नही? वास्तव में परीक्षा के बिना वास्तविकता का पता कैसे चलता और सर्वश्रेष्ठ रचना मनुष्य में कितने श्रम की सार्थकता हुई, यह कैसे अनुभव होता!  
 
 

Leave a Comment