महाराष्ट्र में पिछले तीन साल में 15 हजार से ज्यादा बाल विवाह
सोनिया शर्मा
मुंबई। विधानपरिषद में महाराष्ट्र सरकार ने माना है कि पिछले तीन साल के दौरान राज्य में 15 हजार से ज्यादा बाल विवाह हुए हैं. यह खुलासा सरकार ने विधान परिषद में एक लिखित सवाल के जवाब में किया। इतना ही नहीं, यह भी जानकारी सामने आई है कि 18 साल से कम उम्र की 15 हजार 253 लड़कियां मां बन चुकी हैं। बता दें कि बाल विवाह की प्रथा को रोकने के लिए 2006 में बाल विवाह रोकथाम अधिनियम बनाया गया था। लेकिन यह कानून अभी भी प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि कम उम्र में शादी करने वाली 15 हजार 253 लड़कियां 18 साल से कम उम्र में मां बन चुकी हैं। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड के मुताबिक, 2019, 2020 और 2021 में 152 अपराधों में से 137 आरोप कोर्ट में दाखिल किए गए हैं. इसका गंभीर पहलू यह है कि राज्य सरकार पिछले तीन वर्षों में केवल 10 प्रतिशत बाल विवाह को रोकने में सफल रही है, और प्रगतिशील लोग महाराष्ट्र सरकार से पूछ रहे हैं कि इस प्रथा पर पूरी तरह से रोक कब लगेगी। बाल विवाह एक चिंता का विषय बन गया है और इसके लिए प्रशासन द्वारा कई तरह की योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस बीच अब इस संबंध में महिला आयोग ने भी पहल की है। बाल विवाह लड़कियों के निहित कौशल, ज्ञान, सामाजिक शक्ति, गतिशीलता और समग्र स्वायत्तता को भी सीमित करता है। वे घरेलू हिंसा और दुर्व्यवहार की शिकार हैं। बाल वधुओं को स्वास्थ्य, शिक्षा और अन्य बुनियादी अधिकारों से भी वंचित रखा जाता है। उन्हें स्कूल जाने से रोका गया। इसका खामियाजा उन्हें जीवन भर भुगतना पड़ता है। कम उम्र में गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के कारण बाल वधुओं को खतरनाक संक्रमण का खतरा अधिक होता है। इसके कारण इन लड़कियों को चिकित्सकीय समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है जो शारीरिक समस्याओं का कारण बनती हैं।