सोनिया शर्मा
नई दिल्ली । 13 दिसंबर को लोकसभा की सुरक्षा में हुई चूक मामले की जांच चल रही है। इसे लेकर दिल्ली पुलिस के 8 कर्मियों को निलंबित किया जा चुका है। साथ ही पार्लियामेंट सेक्योरिटी सर्विस (पीएसएस) की भी समीक्षा की जा रही है। यही स्पेशल कैडर संसद के भीतर आने-जाने पर नजर रखता है। इसके अलावा संसद के वीवीआईपी लोगों की सुरक्षा को लेकर कोऑर्डिनेशन का जिम्मा भी इसी के पास है। एक रिपोर्ट के मुताबिक पीएसएस के पास फिलहाल स्टाफ की कमी है। सिक्योरिटी को लेकर इनके पास जो टेक्नोलॉजी है वो भी आउटडेटेड हो चुकी है। रिपोर्ट में बताया गया कि पीएसएस के लिए जितने लोगों की टीम को मंजूरी दी गई, हकीकत में यह संख्या उससे बहुत कम है। इसके चलते एंट्री लेवल सिक्योरिटी पोस्ट पर सबसे कम स्टाफ तैनात रहते हैं जो कि संसद के भीरत आने वाले लोगों, गाड़ियों और सामानों की जांच करते हैं। सुरक्षा के लिहाज से यह पहला फिल्टर लेवल होता है। रिपोर्ट में बताया गया कि लोकसभा के लिए 72 सिक्योरिटी असिस्टेंट ग्रेड-2 ऑफिसर होने चाहिए, मगर मौजूदा तादाद 10 ही है। एंट्री लेवल टेक्निकल स्टाफ के लिए सिक्योरिटी असिस्टेंट ग्रेड-2 (टेक) के 99 लोगों की मंजूरी है, मगर यह संख्या 39 ही है। लोकसभा में सेकंड रिंग ऑफ सिक्योरिटी पर्सनल पार्लियामेंट हाउस गेट पर तैनात होते हैं। इसके लिए कुल 69 कर्मियों के स्टाफ की मंजूरी है मगर अभी ये 24 ही हैं। इससे भी बड़ी बात यह है कि इस साल की शुरुआत से ही ज्वाइंट सेक्रेटरी (सिक्योरिटी) की पोस्ट खाली है जिसके अंडर में लोकसभा और राज्यसभा की सुरक्षा के लिए पीएसएस काम करता है। सुरक्षा में चूक की घटना के एक दिन बाद ही केंद्र सरकार ने इसे लेकर कदम उठाए और सभी राज्यों को इस पद पर नॉमिनेशन के लिए पत्र भेजा गया। इसे लेकर भी सवाल उठे कि इतना अहम पद खाली क्यों छोड़ा गया था।