Sat, Apr 27, 2024
image
एलियन के सूखे हुए शव साल 2017 के हैं /14 Sep 2023 12:00 PM/    50 views

एलियन के शवों का असली होने पर शक

मेक्सिको। मेक्सिको की संसद में आयोजित किए गए एक लाइव इवेंट में एलिनय की लाशें दिखाई गई हैं। अब दुनियाभर में ये बहस छिड़ गई है कि क्या वाकई में एलियन का वजूद है? दावा किया गया है कि ये एलियन के शव 1000 साल पुरानी है। मगर, वैज्ञानिकों ने मैक्सिकन कांग्रेस में दिखाए गए एलियन के कथित शव को धोखाधड़ी बताया है।
एलियन और यूएफओ के मेक्सिको के खुलासे के बाद दुनिया में परजीवियों को लेकर रुचि बढ़ गई है। मेक्सिको कांग्रेस ने अपनी सार्वजनिक सुनवाई के दौरान आधिकारिक तौर पर दो कथित एलियन लाशों को दुनिया के सामने रखा। यूफोलॉजिस्ट जेमी मौसन ने दो छोटी ममीकृत लाशों का खुलासा किया। मेक्सिको ने कहा कि दोनों एलियन की लाशें पेरू के कुस्को से बरामद की गईं हैं। एलियन को लेकर मेक्सिको से पहले अमेरिका ने दावा किया था। जब अमेरिकी वायु सेना के एक पूर्व खुफिया अधिकारी ने दावा किया था कि अमेरिका साल 1930 के दशक से ही एलियन की मौजूदगी के बारे में जानता है।
मैक्सिकन पत्रकार जोस जैमे मौसन ने कहा कि ष्यह सबसे बड़ा सबूत है। अगर डीएनए हमें दिखा रहा है कि दोनों शव एलियन के हैं और दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं दिखता है, तो हमें इसे ऐसे ही लेना चाहिए।ष् लेकिन उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि वह अभी तक इन्हें एलियन के रूप में संदर्भित नहीं करना चाहते हैं। दावा किया गया है कि जाहिर तौर मेक्सिको संसद द्वारा दिखाए गए यह सूखे हुए शव साल 2017 के हैं, जो नाज़का के रेतीले पेरू तटीय रेगिस्तान के नीचे पाए गए थे। यह वह क्षेत्र धरती में खोदी गई विशाल रहस्यमय आकृतियों के लिए जाना जाता है।
2017 में पत्रकार मौसन ने पेरू में इसी तरह के दावे किए और मैक्सिको के अभियोजक के ऑफिस की एक रिपोर्ट में पाया गया कि शव सही मायनों में किसी नई बनाई गई डॉल (गुड़िया) के थे। इन डॉल्स की त्वचा को असली दिखने जैसा बनाया गया था और रिपोर्ट में कहा गया था कि ये गुड़िया निश्चित रूप से मानव निर्मित थीं और वे एलियंस के अवशेष नहीं हैं, जिन्हें एलियन दिखाने की कोशिश की गई है। मगर, 2017 में शवों को सार्वजनिक रूप से नहीं दिखाया गया था। इसलिए यह स्पष्ट नहीं है कि मेक्सिको की संसद में दिखाए गए कथित एलियन के शव असली हैं।
बुधवार को मेक्सिको के राष्ट्रीय स्वायत्त विश्वविद्यालय में खगोल विज्ञान संस्थान के शोधकर्ता जूलियट फिएरो ने भी इस दावे पर संदेह व्यक् किया है। उन्होंने कहा कि इन दिखा गए आंकड़ों का कोई मतलब नहीं बनता है।

Leave a Comment