सहना नहीं अपमान है
जीना है अब स्वाभिमान से
लड़नी है खुद की ही लड़ाई
हौसले और आत्मविश्वास से
अब ना आयेगा कोई कृष्ण
खुद असीमित अपना चीर कर
हृदय विचारों के महाभारत से
खुद हासिल अपनी जीत कर
अब नहीं कोई अग्निपरीक्षा
खुद को तू खुद सिद्ध कर
अस्तित्व की ये लड़ाई
बेबाकी से लड़ के जीत कर
सबल होकर यूं निडर हो
बचा आत्मसम्मान को
सिंदूर भी गहना है तेरा
पर बेबस और लाचार नहीं
स्वाभिमान का गहना पहन कर
जीना है अब सम्मान से
सहना नही अपमान है
जीना है अब सम्मान से !!
मीना कुण्डलिया