इस्लामाबाद । अमेरिका के साथ तनावपूर्ण संबंधों के बीच सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भारत की टेंशन बढ़ा सकते हैं। दरअसल सऊदी प्रिंस ने अमेरिका को कड़ा संदेश देने के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का जोरदार स्वागत किया था। इतना ही नहीं सऊदी अरब और चीन के बीच अरबों डॉलर का समझौता भी हुआ था। सऊदी अरब ने शी जिनपिंग के साथ शिखर बैठक के लिए खाड़ी के कई देशों को भी बुलाया था। अब पाकिस्तानी विशेषज्ञों का दावा है कि सऊदी अरब पाकिस्तान में चाइना-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) में बड़ा निवेश कर सकता है। वहीं सीपीईसी है जो पीओके से होकर गुजरता है और भारत का इसका कड़ा विरोध करता है। पहले खबरें आई थीं कि सऊदी अरब पाकिस्तान में अरबों डॉलर की ऑयल रिफाइनरी लगाने जा रहा है। हालांकि पाकिस्तान के अस्थिर हालात को देखकर सऊदी अरब ने इसका ऐलान नहीं किया है। सऊदी प्रिंस पिछले दिनों पाकिस्तान जाने वाले थे लेकिन उनका यह दौरा रद हो गया था। सऊदी अरब और अमेरिका के बीच तेल की कीमतों और उत्पादन को लेकर काफी विवाद बना हुआ है। अमेरिका में बाइडन प्रशासन के आने के बाद खशोगी मर्डर का भी मुद्दा सऊदी प्रिंस को परेशान कर रहा है। इस संकट से निपटने के लिए सऊदी प्रिंस अब चीन की शरण में पहुंचे हैं जो अमेरिका से परेशान है। हाल के वर्षों में चीन ने सऊदी अरब में अपने निवेश को बहुत बढ़ा दिया है। यही नहीं चीन और सऊदी अरब के बीच रक्षा संबंध भी बहुत मजबूत हो गए हैं। कहा जाता है कि चीन ने सऊदी अरब को मिसाइलों की भी सप्लाई की है ताकि मोहम्मद बिन सलमान ईरानी मिसाइलों के खतरे से निपट सकें। परमाणु हथियारों से लैस पाकिस्तान चीन और सऊदी अरब दोनों का ही करीबी रहा है। पाकिस्तानी विशेषज्ञों का दावा हैं कि सऊदी अरब के प्रिंस सीपीईसी में निवेश करके चीन और पाकिस्तान के साथ अपने रिश्ते को मजबूत करना चाहते हैं। यह भी सुझाव दिया गया है कि चीन-सऊदी अरब और पाकिस्तान को मिलकर सीपीईसी को अपनी त्रिपक्षीय दोस्ती का प्रतीक बनाना चाहिए। सऊदी प्रिंस चीन के साथ अपने रिश्ते को इसलिए बढ़ा रहे हैं ताकि रक्षा क्षेत्र में अपनी अमेरिका पर निर्भरता को कम किया जा सके।