सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में श्वेत पत्र पेश किया, जिस पर आज चर्चा होने की उम्मीद है। 59 पेज के श्वेत पत्र में 2014 से पहले और 2014 के बाद की भारतीय अर्थव्यवस्था की जानकारी दी गई है। इसमें बताया गया है कि किस तरह सरकार के दस सालों में इकोनॉमी मिस मैनेजमेंट का नुकसान भारत को झेलना पड़ा। माना जा रहा है कि इसको लेकर लोकसभा में भारी हंगामा हो सकता है। गुरुवार को सीतारमण द्वारा लोकसभा और राज्यसभा में पेश किए गए लगभग 60 पन्नों के श्वेत पत्र में कहा गया है कि बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे महत्वपूर्ण और कुख्यात विरासतों में से एक था। इसमें कहा गया है कि यूपीए सरकार ने 2004 में सत्ता में आने के बाद सुधारों को छोड़ दिया और वह पिछली भाजपा नीत एनडीए सरकार द्वारा रखी गई मजबूत नींव पर निर्माण करने में विफल रही।
श्वेत पत्र को लेकर सीपीआई-एम सांसद जॉन ब्रिटास ने कहा, भाजपा का उद्देश्य चुनावी अभियान है और अध्ययन नाम की कोई चीज नहीं है। किसी सरकार के लिए दस साल पीछे जाना अजीब है। उन्हें श्वेत पत्र तब लाना चाहिए था, जब वे सत्ता में आए। यह दुनिया के किसी भी देश के इतिहास में अजीब है।
बीजेपी सांसद अर्जुन राम मेघवाल ने कहा, अंतरिम बजट के दौरान वित्त मंत्री ने श्वेत पत्र का जिक्र किया था। हम उनके खराब शासन के कारण फ्रैजाइल फाइव का हिस्सा थे, लेकिन अब हम शीर्ष पांच अर्थव्यवस्थाओं में हैं। लोगों को यह जानने का अधिकार है कि मोदी सरकार ने क्या नीतियां और समग्र दृष्टिकोण अपनाया है। 31 जनवरी को दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन के साथ शुरू हुआ सत्र एक दिन बढ़ाकर 10 फरवरी तक कर दिया गया है। मालूम हो कि पहले इसे 9 फरवरी को समाप्त होना था।