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सीजेआई की बेंच बोली- उसने ट्रेन पर पत्थर फेंके थे

17 साल जेल में रहा

15 Dec 2022 02:49 PM 390 views

सीजेआई की बेंच बोली- उसने ट्रेन पर पत्थर फेंके थे

गुजरात। गोधरा कांड  मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 केस बंद करने का आदेश दिया था। कहा था इतना समय गुजरने के बाद इन पर सुनवाई करने का कोई मतलब नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को गोधरा कांड के एक दोषी फारूक को जमानत दे दी। उम्रकैद की सजा के खिलाफ दोषी की अपील 2018 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित थी। सुप्रीम कोर्ट ने आज कहा कि फारूक 2004 से जेल में है। वो पिछले 17 साल जेल में रह चुका है। इसलिए उसे जमानत दी जाए। जमानत का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ष्यह सबसे जघन्य अपराध में से एक था। लोगों को बोगी में बंद करके जिंदा जलाया गया था। सामान्य परिस्थितियों में पत्थरबाजी कम गंभीर अपराध हो सकता है, लेकिन यह अलग है।
 
पहले जाने क्या था मामला
27 फरवरी 2002 को गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एक कोच में भीड़ ने आग लगा दी गई थी। इस घटना में 59 कारसेवकों की जलकर मौत हो गई थी। इसी के बाद गुजरात में 2002 के दंगे हुए थे। दोषी फारूक पर पत्थरबाजी और हत्या करने का मामला साबित हुआ था। इसके बाद उसे उमक्रैद की सजा सुनाई गई थी। दरअसल, गोधरा कांड के बाद चले मुकदमों में करीब 9 साल बाद 31 लोगों को दोषी ठहराया गया था। 2011 में ैप्ज् कोर्ट ने 11 दोषियों को फांसी और 20 को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में अक्टूबर 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने 11 दोषियों की फांसी की सजा को भी उम्रकैद में बदल दिया था। दोषी फारूक इन्हीं में से एक है।
इससे पहले 13 मई 2022 को एक और दोषी अब्दुल रहमान धंतिया कंकट्टो जम्बुरो को 6 महीने की जमानत दी गई थी। रहमान की पत्नी को टर्मिनल कैंसर है और उसकी बेटियां मानसिक बीमार हैं। 11 नवंबर को उसकी जमानत 31 मार्च, 2023 तक बढ़ा दी गई।
 आज की सुनवाई में क्या हुआ
सरकार का पक्ष रखते हुऐ ैळ ने कहा- मामला फाइनल हियरिंग के लिए तैयार है। अब समयबद्ध सुनवाई के लिए भी विशेष बेंच हैं। इसे भी लिस्टेड किया जा सकता है। इस पर ब्श्रप् ने कहा- मिस्टर ैळ आप यह कर सकते हैं। अपने जूनियर्स से एक विवरण तैयार करने के लिए कहें और इसे रजिस्ट्रार पुनीत सहगल को भेज दें। मैं इसे जरूर देखूंगा।
 
बेंच ने कहा था कि पहले जमानत याचिकाओं सुनेंगे
इससे पहले 2 दिसंबर को 2002 के गोधरा ट्रेन जलाने के मामले में सुनवाई हुई थी। जिसमें ब्श्रप् डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने गुजरात सरकार से जानकारी मांगी थी कि इस कांड में किस आरोपी की क्या भूमिका थी। दोषी फारुक की जमानत याचिका भी बेंच के पास पहुंची थी।
 
 सुनवाई को जनवरी तक के लिए स्थगित करने की मांग की, तब फारुक के वकील ने बेंच से कहा कि इसे विंटर वेकेशन के पहले सुना जाए, क्योंकि राज्य दूसरी बार स्थगन की मांग कर रहा है। सॉलिसिटर जनरल ने यह भी कहा, अगर जमानत याचिकाओं पर सुनवाई होती है, तो सब कुछ सुलझाया जा सकता है। लेकिन बेंच ने कहा था कि वह सबसे पहले जमानत याचिकाओं पर विचार करेगी।
 
 
गोधरा कांड में 59 की मौत, उसके बाद भड़के दंगों में हजार की जान गई
2002 में गुजरात के गोधरा स्टेशन पर एक दुखद घटना हुई थी। अहमदाबाद जाने के लिए साबरमती एक्सप्रेस गोधरा स्टेशन से चली ही थी कि किसी ने चेन खींचकर गाड़ी रोक ली और फिर पथराव किया। बाद में ट्रेन के ै-6 डिब्बे में आग लगा दी गई। ट्रेन में अयोध्या से लौट रहे 59 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई थी।
 
गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में एक हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे, जिनमें 790 मुसलमान और 254 हिंदू थे। गोधरा कांड के एक दिन बाद 28 फरवरी को अहमदाबाद की गुलबर्ग हाउसिंग सोसायटी में बेकाबू भीड़ ने 69 लोगों की हत्या कर दी थी। इन दंगों से राज्य में हालात इस कदर बिगड़ गए कि स्थिति काबू में करने के लिए तीसरे दिन सेना उतारनी पड़ी।