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युवतियों को निर्वस्त्र करके भीड़ ने सड़कों पर निवस्त्र करके घुमाया /21 Jul 2023 12:06 PM/    773 views

मणिपुर में हुई घटना से भारत सारी दुनिया में शर्मसार

सोनिया शर्मा
मणिपुर में 4 मई को 2 कुकी युवतियों को निर्वस्त्र करके भीड़ ने सड़कों पर निवस्त्र करके घुमाया। सैकड़ों लोगों की भीड़ ने युवतियों को घेरकर उनके आंतरिक अंगों के साथ खुलेआम छेड़छाड़ कर रही थी। उन्हें सार्वजनिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा था। उनके साथ गैंगरेप किया गया। युवती का भाई बहन को बचाने के लिए आया। भीड़ ने उसकी भी हत्या कर दी। यदि इसका वीडियो सामने नहीं आता, तो कोई भी इस घटना पर कभी विश्वास नहीं कर पाता। इस घटना के बाद से ही मणिपुर आग में जल रहा है। लगभग 3 महीने होने को आ रहे हैं। पुलिस द्वारा इतनी बड़ी घटना को कई महीने दबाकर रखा गया। पुलिस ने एफआईआर अज्ञात व्यक्तियों के नाम पर लिखकर आरोपियों पर वीडियो वायरल होने तक कोई कार्यवाही नहीं की। जिसके कारण कुकी और मेतई समुदाय के बीच में अविश्वास बढ़ा। पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन और सरकार के खिलाफ अविश्वास और नाराजी फैली। जिसके कारण आज तक मणिपुर शांत नहीं हो पा रहा है। मणिपुर के मुख्यमंत्री मैतई समुदाय के हैं। जो मणिपुर राज्य का बहुसंख्यक वर्ग है। मुख्यमंत्री द्वारा अपराधियों को खुलेआम संरक्षण दिया जा रहा है। जिसके कारण पुलिस, सेना और स्वास्थ्य कर्मी भी अब कुकी और मेतई समुदाय में बंट चुके हैं। एक समुदाय दूसरे के इलाके में जाकर ड्यूटी नहीं कर पा रहे हैं। मणिपुर में डबल एंजिन की सरकार है। प्रधानमंत्री की कुर्सी में कद्दावर नेता नरेंद्र मोदी बैठे हुए हैं। गृहमंत्री के रूप में सर्व शक्तिमान अमित शाह विराजमान हैं। भाजपा के वीरेन सिंह मणिपुर के मुख्यमंत्री है। उनके द्वारा अपनी ही जाति समुदाय के लोगों को संरक्षण दिए जाने से कुकी भयभीत और नाराज हैं। कुकी समुदाय वहां पर अल्पसंख्यक है। उसके ऊपर खुलेआम हमले हो रहे हैं। सैकड़ों गिरजाघर और कई मंदिर वहां पर जला दिए गए। शासन-प्रशासन वहां ढ़ाई महीने से तमाशा देख रहा है। 4 मई की इस घटना का जब वीडियो वायरल हुआ। उसके बाद मणिपुर के 5 जिलों में एक बार फिर तनाव फैल गया। वहां पर पूर्ण कालिक कर्फ्यू लागू किया गया है। पिछले ढाई महीने से यहां पर इंटरनेट बंद है। मणिपुर में राज्यपाल के रूप में आदिवासी महिला अनुसुइया उइके विराजमान हैं। उन्हीं के रहते हुए नगा आदिवासी समुदाय के ऊपर अमानुषिक अत्याचार हो रहे हैं। महिलाओं को नंगा घुमाकर उनके साथ गैंगरेप की घटना पर पुलिस द्वारा पिछले ढाई महीने में किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया। बहुसंख्यक समुदाय को संरक्षण दिए जाने के कारण, मणिपुर की स्थिति बेकाबू हो गई है। जिसने भी वायरल वीडियो को देखा है। उसकी आंखें शर्म से झुक गई। उसे विश्वास ही नहीं हो रहा है, कि यह भारत की घटना है। प्रधानमंत्री और सत्ता पक्ष के लोग मणिपुर की घटना को लेकर पिछले कई महीनों से मौन साध कर बैठे हुए हैं। कोई भी हिंदू समुदाय, महिलाओं के साथ इस तरह का अमानवीय और अमानुषिक अत्याचार कर सकता है? लोग तो यह भी कहने लगे हैं,कि तालिबान में भी ऐसा कुछ नहीं हुआ। जो भारत में अब धर्म के नाम पर हो रहा है। मणिपुर में जो घटना हुई है उसके बारे में कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। भारतीय सनातन हिंदू संस्कृति, इस स्तर पर पहुंच जाएगी। हिंदू बहुसंख्यक समाज ने मणिपुर में करके दिखा दिया है। मणिपुर में डबल इंजन की सरकार आरोपियों को बचाने का प्रयास पिछले 2 महीने से कर रही है। यही हिंसा का सबसे बड़ा कारण है। केंद्र सरकार ने मणिपुर में इतनी भारी हिंसा होने के बाद भी, अभी तक मुख्यमंत्री को केंद्र सरकार ने बर्खास्त नहीं किया है। पुलिस ने आरोपियों को बचाने के लिए 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। वीडियो वायरल होने तक, एक भी आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया था। वीडियो वायरल होने के बाद एक आरोपी को आनन-फानन में पुलिस ने गिरफ्तार किया है। सबसे बड़े आश्चर्य की बात है, कि न्यायपालिका इस मामले में इतने लंबे समय तक चुप्पी साध कर बैठी है। न्यायपालिका का भारत में स्वर्णिम इतिहास रहा है। जब जब सरकारें अति करने लगती हैं। न्यायपालिका ने स्वयं संज्ञान लेकर, इस तरह के मामले में न्याय प्रक्रिया के माध्यम से लोगों के मौलिक अधिकारों और उनके संरक्षण के लिए आदेश करने में कभी कोई गुरेज नहीं किया था। मणिपुर की हाईकोर्ट सैकड़ों लोगों की मौत हो जाने के बाद भी क्या कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इन ढाई महीनों में क्या किया। इसकी जवाबदारी न्यायपालिका को भी लेनी होगी। भारत के संविधान में न्यायपालिका को सर्वाेच्चता पर रखा गया है। न्यायपालिका की चुप्पी, यह साबित कर रही है, कि उसके ऊपर सरकार का दबाव और भय है। न्यायपालिका अब सरकार का बचाव करती नजर आती है। न्यायपालिका सरकार की जिम्मेदारी बताकर अपना पल्ला झाड़ लेती है। जबकि न्यायपालिका की भी जवाबदेही इस मामले में तय की जानी चाहिए। हजारों लाखों वर्षों के इतिहास में ऐसी कोई घटना का उल्लेख भारत में नहीं है। जिसमें एक समुदाय विशेष के लोग दूसरे समुदाय की युवतियों को निर्वस्त्र कर सरेआम सड़कों पर घुमाएं, उनके यौन अंगों से छेड़छाड़ कर उससे गैंगरेप करे। जिस युवती का गैंगरेप हुआ है। वह जिंदा है, या मर गई, इसका भी पता नहीं है। सर्वजन हिताय और सर्वजन सुखाय संस्कृति के इस देश में,ऐसा दिन देखना पड़ेगा। इसको लेकर नागघ्रिकों के पास आश्चर्य के साथ शर्मसार होने के अलावा अन्य कोई विकल्प बचा नहीं है। यदि यही हाल रहा, तो ना भारत में अल्पसंख्यक सुरक्षित हैं। ना बहुसंख्यक सुरक्षित हैं। भीड़ तंत्र के घेरे में जो भी फंसेगा, उसका मरना तय है। भारत में न्यायपालिका जीवित होती, पुलिस द्वारा समय पर कार्रवाई की जाती तो कानून का राज बना रहता। वर्तमान में बहुसंख्यक हिंदू समाज, जो भीड तंत्र का हिस्सा बना, इससे हजारों युवकों का जीवन बर्बाद हो जाएगा। सत्ता में बैठे लोग, सत्ता के लिए, सत्ता में बने रहने के लिए,ना अपना देखते हैं,ना पराया देखते हैं। वह तो सत्ता में बने रहने के लिए जो भी करना पड़े,वह कर डालते हैं। मणिपुर में दो समुदायों के बीच में जो हिंसा हो रही हैं। उसको देखने के बाद यही लगता है कि भारत में अब लोकतंत्र के स्थान पर हम राजतंत्र की ओर बढ़ रहे हैं। 

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