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जानिए तिथि स्थापना मुहूर्त और विधि /28 Jul 2023 12:43 PM/    1098 views

कब से हो रहा है गणेश उत्सव का शुभारंभ?

भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव का शुभारंभ हो जाता है।
सनातन धर्म में 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव पर्व का विशेष महत्व है।
जानते हैं, वर्ष 2023 में कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर्व, तिथि और शुभ मुहूर्त?
2023 सनातन धर्म में 10 दिनों तक चलने वाले गणेश उत्सव पर्व का विशेष महत्व है। बता दें कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश उत्सव का शुभारंभ हो जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भक्त ढोल-नगाड़ों के साथ बप्पा को घर पर लेकर आते हैं और विधिवत उपासना करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व को भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के भगवान गणेश का जन्म हुआ था। 10 दिनों तक धूम-धाम से गणेश उत्सव को मनाने के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा को विदा कर दिया जाता है। आइए जानते हैं, वर्ष 2023 में कब मनाया जाएगा गणेश चतुर्थी पर्व, तिथि और शुभ मुहूर्त?
 
गणेश चतुर्थी 2023 तिथि कब है?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के शुक्ल की चतुर्थी की शुरुआत, 18 सितंबर दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से होगी और 19 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 13 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। उदया तिथि के अनुसार, गणेश चतुर्थी पर्व 19 सितंबर 2023, मंगलवार के दिन से मनाया जाएगा।
 
गणेश चतुर्थी 2023 पूजा मुहूर्त कब?
पंचांग में बताया गया है कि गणेश चतुर्थी के दिन मध्याह्न पूजा मुहूर्त सुबह 11 बजे से दोपहर 01 बजकर 26 मिनट के बीच रहेगा। वहीं इस विशेष दिन पर रवि योग का निर्माण हो रहा है जो सुबह 06 बजकर 08 मिनट से दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। इसके साथ इस दिन स्वाती नक्षत्र का निर्माण हो रहा है जो दोपहर 03 बजकर 18 मिनट तक रहेगा।
 
गणेश चतुर्थी 2023 पूजा विधि क्या?
गणेश चतुर्थी पर्व के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और पूजा स्थल की साफ-सफाई करें।
 
इसके बाद भगवान गणेश की विधिवत उपासना करें।
फिर शुभ मुहूर्त में पूजा की चौकी पर पीला या लाल कपड़ा बिछाएं और मंत्रोंच्चारण के साथ भगवान गणेश को स्थापित करें।
इसके बाद भगवान गणेश को हल्दी, चंदन, सिंदूर, रोली, मौली, दूर्वा, फल, फूल और माला अर्पित करें।
भोग के रूप में भगवान गणेश को मोदक या लड्डू अर्पित करें और अंत में आरती के साथ पूजा संपन्न करें।  
 
                                             डा. आचार्य राजेश ओझा जी  
 

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