वाशिंगटन । शोधकर्ताओं ने बहुत सारी सूक्ष्म जीवों के दुर्लभ प्रजातियों की खोज की है। इनमें से कुछ तो पहले कभी अवलोकित नहीं की जा सकी थीं जबकि अन्य करीब एक सदी के समय से ही वैज्ञानिकों की नजरों से बची हुई थीं। पोलैंड के बोउर्नमाउथ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जिनोवेवा एस्टेबैन और पोलैंड के वरसॉ की अपनी ही प्रयोगशाला के एक स्वतंत्र शोधकर्ता जेम्स वेइस ने ये खोजें की हैं।
दोनों ने वेइस की दो बिल्लियों के साथ छिपी हुई प्रजातियों की खोज की। इन नई और दुर्लभ प्रजातियों की खोज और शोध के तरीके लोगों और वैज्ञानिकों को जीवन को सूक्ष्म स्तर पर समझने में मदद करेंगे। इसके अलावा उनका मानना है कि इससे दुनिया में सूक्ष्मजीवन के महत्व को सभी की तवज्जो मिल सकेगी।उनका कहना है कि इससे हजारों युवा लोगों को विज्ञान मे रुचि जगाने की प्रेरणा मिलेगी। सूक्ष्मजीव खाद्य शृंखला में सबसे नीचे रहते हैं और केवल एक कोशिका से ही बने होते हैं। इस तरह के जीव हमारे चारों ओर होते हैं और हर तरह के वातावरण में पाए जाते हैं। छोटे से तालाब से लेकर विशालकाय महासागरों में ये हर जगह हैं। लेकिन जरूरत इसबात की है कि उनके बारे में अभी बहुत कुछ सीखना है। प्रोफेसर एस्टेबन बताते हैं कि बावजूद इसके कि पूरा पारिस्थितिकी तंत्र सूक्ष्मजीवों पर निर्भर करता है, प्रकृति में सूक्ष्म स्तर पर जैवविविधता व्यापक तौर पर उतने अच्छे से नहीं समझी जाती है जैसे कि दूसरे क्षेत्रों में होता है। इन प्रजातियों में से कुछ तो पूरी तरह से नई हैं और दूसरी प्रजातियां करीब एक सदी से नहीं देखी गई हैं।
शोधकर्ताओं ने बताया कि उन्होंने इनमें से बहुत से जीवों के दिलचस्प बर्तावों का दस्तावेजीकरण किया। शोधकर्ताओं ने इन प्रजातियों का पहली बार डीएनए विश्लेषण किया। इसका मतलब यह हुआ कि अब हम उनके दूसरे सूक्ष्मजीवों के साथ संबंधों केबारे में ज्यादा समझ सकते हैं और जीवन के वृक्ष में नई शाखाएं पता कर सकते हैं। इस नई दुर्लभ सूक्ष्मजीव मे लीजेंड्रिया लोयेजा। प्रोफेसर एस्टेबन का कहना है, “हम नहीं जानते कि इस जीव को अपना नाम कहां से मिला। यह सौ साल पुराना फ्रेंच नाम है जिसके मूल नाम का पता नही हैं लेकिन ऐसा लगता है कि यह किसी व्यक्ति के नाम पर था क्योंकि लेजेंड्री एक आम फ्रेच सरनेम है।
शोधकर्ताओं ने एक नया लैसेरस नाम का जीव भी खोजा है जिसका अर्थ होता है “जिसके अनियमित किनारे” होते हैं। इसी तरह से नए एर्प्टाेस्पाथुला का मतलब होता है जिसके पेट में मुंह खुलता है। इन प्रजातियों को नाम नहीं दिए गए हैं। लेकिन शोधकर्ता चाहते हैं कि वे ऐसे नाम दें कि हर उम्र लोग उनके बारे में जानने को उत्सुक हो सकें। वेइस बताते हैं कि जीवन वृक्ष के अधिकांश जीव सूक्ष्मजीवी ही होते हैं। वास्तव में पृथ्वी का ही अधिकांश जीवन ही सूक्ष्मजीवन है।