राहुल शर्मा
नई दिल्ली । केंद्र सरकार बफर स्टाक में,कम गेहूं का स्टाक होने के बावजूद भी, आटा मिलों को सस्ते दामों पर गेहूं बेचेगी। एफसीआई के सभी डिपो से आटा मिलों को सरकारी कीमत पर गेहूं उपलब्ध कराया जाएगा। ओपन मार्केट के रेट पर सरकारी गोदामों का गेहूं, आटा मिलें खरीद कर इसका आटा बनाकर स्थानीय एवं विदेशों में आटे का निर्यात करेंगी। रूस यूक्रेन अनाज का सौदा रद्द हो जाने के बाद गेहूं की कीमतें वैश्विक बाजार में 6 फ़ीसदी बढ़ गई हैं। देश में गेहूं की बढ़ती कीमतों पर काबू मैं रखने के लिए सरकार ने 30 लाख टन गेहूं ओपन मार्केट में आटा मिलों और फूड कंपनियों को बेचने की अनुमति दी है। भारत सरकार ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा रखी है।
आटा मैदा के निर्यात को अनुमति
प्राप्त जानकारी के अनुसार भारत सरकार ने आटे के निर्यात की अनुमति ने दे रखी है। यह माना जा रहा है कि आटा मिलें एफसीआई से सस्ता गेहूं खरीद कर उसका आटा बनाकर विदेशों में भी निर्यात करेंगे। जिसके कारण भारत में आटा की कीमतें अगले महीनों में और भी बढ़ सकती हैं। सरकार का निर्यात और कीमतों पर अभी कोई नियंत्रण नहीं है।
इस बार गेहूं की, समर्थन मूल्य पर खरीदी कम हुई है। सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक पिछले वर्षों की तुलना में काफी कम है।ओपन मार्केट की बिक्री एफसीआई ने रोक दी थी। कीमतों को काबू रखने के नाम पर अब फिर से 30 लाख टन गेहूं आटा मिलों को दिया जा रहा है।
समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत में बिक रही है धान
मध्य प्रदेश में अभी धान की खरीद शुरू भी नहीं हुई है। इसके बाद भी मंडियों में समर्थन मूल्य से ज्यादा कीमत पर धान की बिक्री हो रही है। यदि यही हाल रहा, तो इस बार सरकारी खरीद में धान भी पर्याप्त मात्रा में सरकार को नहीं मिल पाएगी। जिसके कारण सार्वजनिक वितरण प्रणाली मैं न्यूनतम रेट पर अथवा फ्री जो अनाज बांटा जा रहा है। वह अनाज सरकार के पास अगले कुछ माह में सरकारी गोदामों में उपलब्ध नहीं होगा। इसको लेकर चिंताएं बढ़ गई है।