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12 करोड़ से अधिक लोगों को मतदान का अधिकार /08 Feb 2024 11:05 AM/    26 views

सबसे बेकार चुनाव हुए-पीटीआई

 इस्लामाबाद। आर्थिक तंगी से जूझ रहे पाकिस्तान में आतंकी घटनाओं के बीच गुरुवार को नई सरकार बनाने के लिए करीब 12.85 करोड़ लोग मतदान कर सकेंगे। चुनाव को सकुशल संपन्न कराने के लिए देशभर में करीब साढ़े छह लाख सुरक्षाकर्मियों को उतारा गया है। माना जाता है कि सबसे आगे चल रहे पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शक्तिशाली सेना का समर्थन प्राप्त है। पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान के जेल में होने के कारण, शरीफ की पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरने की उम्मीद है।
आम चुनाव में पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन), पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) और बिलावल भुट्टो जरदारी के नेतृत्व वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच मुकाबला है। लेकिन, पूर्व पीएम नवाज शरीफ के नेतृत्व वाली पीएमएल-एन सेना की आखों का तारा बनी हुई है। इसलिए विश्लेषक उसे आगे मान रहे हैं। वहीं, जनता में अधिक लोकप्रिय पीटीआई का चुनाव चिह्न जब्त होने से उसे निर्दलीय लड़ना पड़ रहा है।
पाकिस्तान के चुनाव आयोग के अनुसार, मतदान आज (गुरुवार) सुबह आठ बजे शुरू हो जाएगा जो शाम पांच बजे तक चलेगा। कहा, कुल 12,85,85,760 पंजीकृत मतदाता नेशनल असेंबली के 5,121 उम्मीदवारों के लिए मतदान कर सकेंगे। उम्मीदवारों में 4,807 पुरुष, 570 महिलाएं व दो ट्रांसजेंडर हैं।
इसी तरह चार प्रांतीय असेंबली के लिए 12,695 उम्मीदवार मैदान में हैं। पाकिस्तान की कुल 336 नेशनल असेंबली सीटों में से 266 पर प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं। लेकिन बाजपुर सीट पर एक उम्मीदवार की हत्या के बाद वहां मतदान स्थगित हो जाने से 265 सीटों पर ही चुनाव हो रहे हैं।
इसके अतिरिक्त 60 सीटें महिलाओं के लिए व 10 अल्पसंख्यों के लिए आरक्षित हैं, जो जीतने वाली पार्टियों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व से भरी जाती हैं। इसी तरह चार असेंबली की 749 सीटों में से 593 सीटों पर प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं। नियम के अनुसार, मतदान के 14 दिनों के भीतर चुनाव परिणाम आ जाने चाहिए। लेकिन चुनाव आयोग ने संकेत दिए हैं कि कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा व अन्य कारणों से चुनाव परिणाम आने में देरी हो सकती है। जेल में बदं पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पीटीआइ ने बुधवार को आरोप लगाया कि पाकिस्तान आठ फरवरी के चुनावों में अपनी पसंद की सरकार बनाने के लिए मनचाहा परिणाम हासिल करने के लिए शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के हाथों दशकों में अपनी सबसे खराब राजनीतिक इंजीनियरिंग का गवाह बन रहा है।
पीटीआइ ने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के समर्थित उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार नहीं करने दिया गया। पीटीआइ ने अपना प्रचार इंटरनेट मीडिया के सहारे ही किया।

 

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