आज परिवारवाद को लेकिन पार्टी की अपनी अपनी सोच है लेकिन परिवार का मतलब समझने की कोशिश करते हैं एक ही घर में एक साथ रहने वाले लोग जो किसी न किसी रिश्ते से बंधे होते हैं उसे परिवार कहते हैं। परिवार छोटा और बड़ा दोनों तरह का होता है। छोटा परिवार जिसे अंग्रेजी में न्यूक्लियर फैमिली भी कहते हैं उसमें सिर्फ माता-पिता और बच्चे होते हैं। वहीं एक बड़े परिवार में जिसे अंग्रेजी में जॉइंट फैमिली भी कहते हैं, उसमें दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ और भाई-बहन सब होते हैं। एक हंसता-खेलता परिवार सुखी परिवार की निशानी होती है। एक सुखी और संपन्न परिवार में बच्चे हमेशा आगे बढ़ते हैं और अच्छाई सीखते हैं। परिवार के सदस्यों में एकता रहती है और सब मिलजुल कर एक दूसरे का काम करते हैं। छोटे बच्चों को परिवार से बहुत प्यार मिलता है, खासकर उनके दादा-दादी और नाना-नानी से बहुत लाड मिलता है। एक संयुक्त परिवार में सब एक साथ बैठकर खाना खाते हैं। कोई भी फैसला लेने से पहले पूरे परिवार के सदस्यों से पूछा जाता है। परिवार जब आपके साथ होता है तो आपको कभी किसी मुसीबत से डर नहीं लगता है। जब भी परिवार के किसी एक सदस्य पर मुसीबत आती है, तो सारा परिवार एक साथ खड़ा रहता है। इंसान जीवन में जितनी भी कामयाबी हासिल कर ले लेकिन अगर उसका परिवार उसके साथ है तो यह कामयाबी दुगनी हो जाती है। परिवार में मौजूद छोटे बच्चे अपने बड़ों से सीखते हैं और उनकी अच्छाइयों को अपनाते है। परिवार में जितने भी लोग हैं उनका अपना अलग-अलग महत्व होता है। परिवार में जितने सदस्य होते है बच्चों को सभी से उतना ज्यादा प्यार मिलता है।कौन पार्टी क्या बोल रहा है उस पर उलझना ठीक नहीं होता कुछ लोगों की छेड़ना आदत होती है यदि हम मान लें मेरा परमात्मा या परम पिता भगवान राम है तो बहुत कुछ सिखने को मिलेगा और जितने भी संत महात्मा हुए सभी पर भगवान श्री राम की कृपा रही ऐ सही भी है क्योंकि मेरा वातावरण में ऑक्सीजन ईश्वर ही तो स्थूल शरीर को चलाने हेतु प्रदान कर रहा है और जब स्थूल शरीर नष्ट होगा तो सूक्ष्म शरीर पैदा होगा अतः यदि हम ईश्वर को ही अपने परिवार का सबसे बड़ा पिता माने तो गलत नहीं होगा क्योंकि ऐ संसार में सब कुछ का अंत होना निश्चित है और फिर जब उस युग का अंत होगा तो क़ोई दूसरा आएगा वो कैसा होगा मुझे या किसी को नहीं मालूम लेकिन कड़वां सत्य है कि रात होता है तो कुछ दीखता नहीं और वही दिन में सब दिखने लगता है और जो ईश्वर है वो गुलाब की फूल जैसा हर दिन सुगंध और प्रकाश देने वाला जो प्रकाश निरंतर हर जगह रहता है क्योंकि प्रकाश के लिए किसी भी माध्यम की आवश्यकता नहीं ऐ तो हमारे आँखों का खेल है जो उस प्रभाव में पावर के कारण नहीं दीखता है लेकिन वही प्रकाश को कोई दिन में भी देख लेता है और उसे किसी की चिंता नहीं कौन क्या बोल रहा है उसे संसार की चिंता है और वह सबकी नहीं सुनता है वो सिर्फ मेहनत और अपने विचार के बारे में सोचता है कि हमेशा ईश्वर के चरणों में विचार हो तब आप पर कितने भी क़ोई छींटे मारे आप इस तरह वाटरप्रूफ हो जायेंगे कि तनिक भी असर नहीं होगा शांत रहकर ईश्वर की आराधना करना ही सच्चा सुख है। इसे हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा पहले ही किसी न किसी रूप में श्रुति एवं ज्ञान परम्परा में लिपिबद्ध कर मानव कल्याण हेतु प्रस्तुत किया गया।