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आर्यन ड्रग केस की जांच में की गई कई अनियमितताएं, 7-8 अफसरों की भूमिका को संदिग्ध बताया

एनसीबी की विजिलेंस टीम ने एक साल बाद सौंपी अपनी जांच रिपोर्ट

19 Oct 2022 12:36 PM 880 views

आर्यन ड्रग केस की जांच में की गई कई अनियमितताएं, 7-8 अफसरों की भूमिका को संदिग्ध बताया

 
मुंबई । पिछले साल अक्टूबर में एनसीबी की मुंबई यूनिट ने फिल्म अभिनेता शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को ड्रग्स केस में गिरफ्तार किया था। एक साल बाद एनसीबी की विजिलेंस टीम ने अपनी रिपोर्ट अपने डायरेक्टर को सौंप दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एनसीबी की मुंबई यूनिट ने इस केस की जांच में कई अनियमितताएं बरतीं हैं। एनसीबी के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (साउथ वेस्ट रीजन) ज्ञानेश्वर सिंह ने बुधवार को मुंबई में बताया कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट एनसीबी डायरेक्टर को नई दिल्ली में दे दी है, पर इस रिपोर्ट में क्या लिखा गया है, इसका उन्होंने अधिकृत रूप से खुलासा नहीं किया। ज्ञानेश्वर सिंह एनसीबी की विजिलेंस टीम के हेड भी हैं।
एनसीबी की विजिलेंस टीम के करीबी सूत्रों ने बताया कि जांच में पाया गया कि आर्यन केस की जांच में काफी अनियमितताएं बरती गईं। विजिलेंस टीम ने जांच में शामिल अधिकारियों के इरादों पर भी सवाल उठाए हैं। सूत्रों का कहना है कि विजिलेंस टीम ने 7 से 8 एनसीबी अधिकारियों की भूमिका को संदेहास्पद पाया। बताया जाता है कि इनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। क्या इन अधिकारियों में समीर वानखेडे का भी नाम है, जो उन दिनों एनसीबी मुंबई के जोनल डायरेक्टर थे? सूत्रों ने इस बात की पुष्टि नहीं की है। जब आर्यन केस सुर्खियों में आया था, तब एनसीबी की मुंबई यूनिट पर रिश्वत के भी आरोप लगे थे। एनसीबी की विजिलेंस टीम ने इस एंगल से भी जांच की, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पैसे मांगने के आरोपों की कड़ियां जांच में जुड़ नही पाईं। एनसीबी की विजिलेंस टीम की जांच में मुंबई एनसीबी के तब के कुछ अधिकारियों के खिलाफ सिलेक्टिव होने की बात भी सामने आई है। आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद समीर वानखेडे की भूमिका पर महाराष्ट्र के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक के साथ काफी लोगों ने सवाल खड़े किए थे। इसके बाद एनसीबी के डायरेक्टर एसएन प्रधान ने दो बड़े फैसले लिए थे। उन्होंने आईपीएस अधिकारी संजय कुमार सिंह के नेतृत्व में एक एसआईटी बनाई थी। इस एसआईटी का काम आर्यन केस सहित मुंबई से जुड़े करीब आधा दर्जन केसों की फिर से जांच करना था। दूसरे फैसले में एक और आईपीएस अधिकारी ज्ञानेश्वर सिंह के नेतृत्व में विजिलेंस टीम का गठन था। इस विजिलेंस टीम का काम एनसीबी की मुंबई यूनिट पर लगे आरोपों की जांच करने का था। संजय कुमार सिंह की एसआईटी ने कुछ महीने पहले कॉर्डिला क्रूज शिप केस में अपनी चार्जशीट दायर की थी। उसमें आर्यन खान का नाम नहीं था। यानी आर्यन को एसआईटी ने क्लीन चिट दे दी थी।
एसआईटी और विजिलेंस टीम की अलग-अलग जांचों से जो बात सामने आई है, उसके मुताबिक, 2 अक्टूबर को आर्यन खान के पास से कॉर्डिला क्रूज शिप में कोई ड्रग्स बरामद नहीं की गई थी, इसलिए एनसीबी मुंबई द्वारा उनका फोन जब्त करना और उसके बाद उनके वॉट्सऐप चौट्स चेक करना गलत था। वॉट्सऐप चौट्स की पड़ताल में भी यह बात कहीं भी सामने नहीं आई कि आर्यन खान किसी इंटरनेशनल ड्रग्स सिंडिकेट से जुड़े थे। एसआईटी, दिल्ली ने अपनी जांच में यह भी पाया था कि एनसीबी मुंबई द्वारा कार्डिला क्रूज शिप रेड के दौरान कोई वीडियोग्राफी नहीं की गई थी, जबकि एनसीबी के मैनुअल में इसे जरूरी बताया गया है। इस केस में गिरफ्तार अलग-अलग आरोपियों से जब्त ड्रग्स को संयुक्त रिकवरी बताया गया था। एसआईटी, दिल्ली ने मुंबई एनसीबी की इस प्रक्रिया को भी गलत बताया था।