ब्रसेल्स । भारत में चल रहे हिजाब बैन विवाद के बीच यूरोप की सुप्रीम कोर्ट का हिजाब को लेकर एक बड़ा निर्णय सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप की शीर्ष अदालत ने एक कंपनी के हिजाब बैन को सही ठहराते हुए कहा कि यह एक सामान्य प्रतिबंध है, जो कर्मचारियों के साथ भेदभाव नहीं करता। हिजाब पर मत को लेकर वर्षों से विभाजित रहे वेस्टर्न वर्ल्ड में अब यूरोपीय संघ की कंपनियां हेडस्कार्फ या हिजाब पर प्रतिबंध लगा सकती हैं। आदेश एक मुस्लिम महिला की अपील पर आया है, जिस बेल्जियम की कंपनी ने हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी थी। महिला के अनुसार छह सप्ताह के वर्क ट्रेनी शिप के लिए आवेदन करने पर महिला से कहा गया था कि वह हेडस्कार्फ नहीं पहन सकती है। कंपनी के नियम के खिलाफ महिला ने यूरोपियन कोर्ट ऑफ जस्टिस का दरवाजा खटखटाया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान कंपनी ने कहा कि इसका एक तटस्थता का नियम है, जिसका अर्थ है कि उनके परिसर में किसी भी प्रकार से सिर को ढंकने की अनुमति नहीं है, चाहे वह टोपी, बीन या दुपट्टा हो।
महिला पहले अपनी शिकायत बेल्जियम की अदालत में ले गई, जिसने बाद में यूरोपीय संघ के न्यायालय से सलाह मांगी। लक्जमबर्ग स्थित सीजेईयू ने कहा कि इस तरह के प्रतिबंध में कोई प्रत्यक्ष भेदभाव नहीं होना चाहिए। अपने आदेश में न्यायाधीशों ने कहा कि अगर इस सामान्य और बिना भेदभाव के सभी श्रमिकों पर लागू किया जाता है, तब इस धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जा सकता है। बता दें कि सीजेईयू ने पिछले साल ही कहा था कि यूरोपीय संघ की कंपनियां कुछ शर्तों के तहत कर्मचारियों के हेडस्कार्फ़ पहनने पर प्रतिबंध लगा सकती हैं। वहीं यूरोप के सबसे बड़े मुस्लिम अल्पसंख्यक देश फ्रांस ने 2004 में सरकारी स्कूलों में इस्लामिक हेडस्कार्फ पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।