लंदन। ब्रिटेन में भारतीयों सहित अंतर्राष्ट्रीय छात्रों को लंबे समय तक काम करने की अनुमति दी जा सकती है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश भर के विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की कमी को पूरा करने के लिए अधिक पार्ट टाइम नौकरियां करने को मंजूरी दी जा सकती है। खबरों के मुताबिक, फिलहाल यूके में लगभग 6 लाख 80 हजार विदेशी छात्र हैं, जिन्हें अपने सत्र के दौरान सप्ताह में अधिकतम 20 घंटे काम करने की अनुमति है। हालांकि, अपनी अर्थव्यवस्था को बढ़ाने के लिए सरकार 20 घंटे काम करने के समय को बढ़ाकर 30 घंटे करने पर विचार-विमर्श कर रही है।
ब्रिटेन में सबसे ज्यादा भारतीय छात्र
पिछले साल ब्रिटेन पहुंचे 11 लाख प्रवासियों में 4 लाख 76 हजार अंतर्राष्ट्रीय छात्र थे। इन अंतर्राष्ट्रीय छात्रों में 1 लाख 61 हजार भारतीय छात्र थे। लिहाजा, ब्रिटेन में आने वाले विदेशी छात्रों में भारत सबसे बड़ा स्रोत बन गया है। प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के मुताबिक, देश में लगभग 13 लाख पद खाली हैं, जो महामारी से पहले की तुलना में लगभग पांच लाख अधिक हैं। सूत्रों का कहना है कि व्यवसायों में श्रमिकों की कमी है। इससे निपटने के लिए विदेशी छात्रों के काम करने के घंटों पर लगी पाबंदी को हटाने पर विचार किया जा रहा है। हालांकि, यह विचार अभी शुरूआती दौरा में है।
विदेशी छात्रों की संख्या कम करना चाहती हैं गृह सचिव
हालांकि, गृह सचिव सुएला ब्रेवरमैन देश में आने वाले विदेशी छात्रों की संख्या को कम करने पर काम कर रही हैं जिसके कारण इस योजना से काम रुक सकता है। पिछले साल प्रवासियों की संख्या पांच लाख चार हजार तक पहुंच गई। ब्रेवरमैन ने इस संख्या को कम करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया है। जिसके मुताबिक विदेशी छात्रों के पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद उनके ब्रिटेन में रुकने की अवधि को कम किया जा सकता है।
दिवालिया हो सकते हैं विश्वविद्यालय
यूके में आने वाले आश्रितों की संख्या और विदेशी छात्रों को प्रतिबंधित करने पर भी विचार किया जा रहा है। हालांकि, शिक्षा विभाग का कहना है कि इसके कारण ब्रिटेन के विश्वविद्यालय दिवालिया हो जाएंगे जो पैसे के लिए विदेशी छात्रों पर निर्भर हैं। यूके की कंसल्टेंसी के मुताबिक, विदेशी छात्र 10,000 पाउंड से 26,000 पाउंड की फीस के माध्यम से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में योगदान देते हैं। अगर ब्रिटेन में ग्रेजुएशन कार्य वीजा पर प्रतिबंध लगाया गया तो भारतीय छात्रों को ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों में स्थानांतरित होने के लिए मजबूर रहेंगे।