प्योंगयांग। उत्तर कोरिया ने परमाणु हथियार बनाकर पूरी दुनिया को चौंका दिया। दबंगता इतनी की दुनिया का कोई भी देश दमदारी से विरोध भी नहीं कर पाया। इन हथियारों के लिए उत्तर कोरिया के मुखिया किम जोंग ने पानी की तरह पैसा बहाया। अब हालात ये है कि यहां की आर्थिक स्थिति बदहाल होने लगी है। किम जोंग इल ने 9 अक्टूबर 2006 में पहला परमाणु परीक्षण करके दुनिया को चौंका दिया। इसके बाद से ही उत्तर कोरिया अब फिर से अमेरिका के निशाने पर आ गया और दक्षिण कोरिया समेत दूसरे यूरोपीय देशों से उसके रिश्तों को टकराव की स्थिति में ला खड़ा किया। मगर दबने की बजाय किम जोंग इल ने अपनी ताकत दिखाते हुए एक और परमाणु परीक्षण कर डाला। देश की अर्थव्यवस्था चरमरा रही थी और इसे बचाने की बजाय उसने अपनी पूरी ताकत सैन्य कार्यक्रमों में लगानी शुरू कर दी। साल 2011 में किम जोंग इल की मौत के बाद उसका बेटा और उत्तर कोरिया का मौजूदा तानाशाह किम जोंग उन गद्दी पर बैठा। सत्ता मिलते ही उसने भी उत्तर कोरिया में परमाणु परीक्षणों की झड़ी लगा दी। 12 फरवरी 2013 को उत्तर कोरिया ने तीसरा, 6 जनवरी 2016 को चौथा, 9 सितंबर 2016 को पांचवां और 3 सितंबर 2017 को उसने छठा परमाणु परीक्षण कर डाला। किम जोंग के परमाणु हथियारों की सनक ने एक अच्छे खासे और तरक्की करते देश को पीछे धकेल दिया। तानाशाही और दुनिया से दुश्मनी के चलते देखते ही देखते उत्तर कोरिया पिछड़ता चला गया, जिसके बाद देश में सिर्फ भूखमरी, बेरोजगारी और खस्ता माली हालत ही रह गई। आज कोरियाई प्रायद्वीप के इन दो देशों में फर्क सिर्फ इतना ही है कि दक्षिण कोरिया खेल से लेकर तकनीक तक हर क्षेत्र में काफी आगे निकल गया है, जबकि किम के उत्तर कोरिया में अपनी मर्जी से जीना भी लोगों के लिए मुश्किल है। उत्तर कोरिया में तानाशाह की जुबान से निकला हर शब्द कानून माना जाता है, जो भी इसे तोड़ता है, उसका मरना तय है।