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मुंबई में प्रेस कॉन्फ़्रेंस के दौरान राहुल गांधी /01 Sep 2023 11:04 AM/    419 views

अदानी को क्लीनचिट देने वाले आज एनडीटीवी में निदेशक-राहुल गांधी

सोनिया शर्मा
मुंबई । मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक में शामिल होने पहुँचे कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और अदानी समूह पर छपी अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर सरकार को घेरा. इसी दौरान कांग्रेस सांसद ने ये भी मुद्दा उठाया कि साल 2014 में अदानी समूह के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच करने वाले सेबी के पूर्व शीर्ष अधिकारी को अब अदानी समूह की मीडिया कंपनी एनडीटीवी में निदेशक बना दिया गया है।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, जाँच हुई. सेबी (बाज़ार नियामक) को सबूत दिए गए और सेबी ने अदानी को क्लीन चिट दे दी। ये बहुत दिलचस्प है कि जिस जेंटलमेन ने अदानी को क्लीन चिट दी वो आज एनडीटीवी (अडानी ग्रुप ने जिस मीडिया समूह को ख़रीदा) के डायरेक्टर हैं । इसलिए ये बहुत ही स्पष्ट है कि इसमें कुछ तो गड़बड़ है । राहुल गांधी ने अपने इन दावों के समर्थन में श्फ़ाइनेंशियल टाइम्स और द गार्डियन की रिपोर्ट्स दिखाईं । हालांकि, उन्होंने अधिकारी का नाम नहीं लिया. अंग्रेज़ी अख़बार, द टेलीग्राफ़ की ख़बर के अनुसार, फ़रवरी 2011 से लेकर फ़रवरी 2017 तक उपेंद्र कुमार सिन्हा सेबी के चेयरमैन थे. सेबी और डायरेक्टोरेट ऑफ़ रेवेन्यू इंटेलिजेंस (डीआरआई) के बीच एक-दूसरे को भेजी औपचारिक चिट्ठियों के हवाले से फ़ाइनेंशियल टाइम्स ने बताया है कि जनवरी 2014 में अदानी के ख़िलाफ़ दो अलग-अलग मामलों में जाँच चल रही थी।
उनकी चिट्ठी के साथ एक सीडी भी थी जिसमें, अदानी पावर प्रोजेक्ट्स में बढ़े हुए बिलों के आरोपों की डीआरआई जांच के कथित सबूत थे।  टेलिग्राफ़ के अनुसार, इस चिट्ठी में लिखा था, ऐसे संकेत हैं कि अदानी ग्रुप में निवेश और विनिवेश के ज़रिए कालाधन भारत के शेयर बाज़ार में पहुँच गया। अख़बार ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है, इस चिट्ठी से संकेत मिलते हैं कि सेबी अदानी के ख़िलाफ़ जनवरी 2014 में जाँच कर रहा था।  ये सेबी की ओर से सुप्रीम कोर्ट की बनाई विशेषज्ञ समिति के सामने दी गई उस जानकारी पर भी सवाल खड़े करता है, जिसमें कहा गया था कि जाँच अक्टूबर 2020 में शुरू हुई थी। सेबी की भूमिका तब से संदेह के घेरे में आ गई है जब से सुप्रीम कोर्ट की नियुक्त विशेषज्ञ समिति ने साल 2018 के बाद से विदेशी निवेशकों से जुड़े नियमों में लगातार हो रहे संशोधनों को लेकर संदेह ज़ाहिर किया है। इन बदलावों से अदानी समूह कथित तौर पर शेयर के दामों में हेरफेर, काले धन को वैध बनाने जैसे कई आरोपों से बच सकता है। डीआरआई की साल 2014 में लिखी चिट्ठी के सामने आने के बाद से ही विपक्षी पार्टियों के नेता अदानी समूह के ख़िलाफ़ आरोपों की जाँच में तत्कालीन सेबी चीफ़ की भूमिका पर सवाल उठा रहे हैं. विपक्षी नेता इस मामले में संयुक्त संसदीय समिति से जाँच कराए जाने की मांग कर रहे हैं।

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