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गांवों और झुग्गी बस्तियों के आंकड़े चौंकाने वाले निकले, आधे लोगों के पास एसी उपलब्ध /28 Jul 2023 11:36 AM/    100 views

देश के पांच प्रतिशत लोग खा रहे एसी की ठंडी हवा, एमआईएस सर्वेक्षण में पता चला

सोनिया शर्मा
नई दिल्ली देश के पांच प्रतिशत लोग एसी की ठंडी हवा खा रहे हैं, जबकि गांवों में यह स्थिति और भी चौंकाने वाली है। यहां आधी आबादी एसी की ठंडी हवा में सो रही है। यह आंकड़े हाल ही में जारी एमआईएस की घ्रिपोर्ट में सामने आए हैं। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में आबादी के बहुत कम हिस्से के पास ही एसी उपलब्ध है। गौरतलब है कि भारतीय परिवारों में संपत्तियों के आंकड़े के पारंपरिक स्रोत से इसका पता लगाना मुश्किल है कि अभी कितने घरों में एसी लगे हुए हैं। वर्ष 2011 की जनगणना में परिवारों से नहीं पूछा गया था कि उनके पास एसी है या नहीं। तब उनसे रेडियो/ टीवी या दोपहिया/ कार या कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी विभिन्न प्रकार की संपत्तियों की जानकारियां ही मांगी गई थीं। लेकिन राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) परिवारों से पूछता है कि क्या उनके पास एसी है? इसमें गड़बड़ी यह है कि एयर कूलर वाले परिवारों को भी एसी युक्त मान लिया गया है। इसलिए, अब मल्टीपल इंडिकेटर सर्वे ने एमआईएस पहली बार 2020-21 में किया गया था जिसके परिणाम मार्च में सामने आए। जानकारी के अनुसार  मल्टीपल इंडिकेटर सर्व यानी एमआईएस हमें न केवल यह बताता है कि किसी घर में एसी है या नहीं, बल्कि यह हमें यह भी बताता है कि किस घर में कितने एसी हैं। इस आंकड़े से भारतीय परिवारों के बीच संपत्ति का बड़ा अंतर देखने को मिलता है। चूंकि एमआईएस सिर्फ एक सर्वेक्षण है, इसलिए इसके आंकड़े भी बिल्कुल सटीक नहीं बल्कि करीब-करीब सटीक हो सकते हैं। किस घर में कितने एसी हैं, इस सवाल के जवाब में मिले आंकड़े बताते हैं कि केवल टॉप 5 प्रतिशत अमीर भारतीयों के पास देश का 53 प्रतिशत और टॉप 10 प्रतिशत अमीरों के पास 72 प्रतिशत एसी है जो घरों में लगे हुए हैं।
वर्ग आधारित एसी के ऑनरिशप ही साफ हो जाता है कि यह काफी हद तक शहरों और वहां भी ठीकठाक परिवारों को प्राप्त सुविधा है। शहरी परिवारों के 12.6 प्रतिशत की तुलना में केवल 1.2 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास कम-से-कम एक एसी है। हालांकि, शहरी क्षेत्र में भी हर जगह एसी नहीं है। झुग्गियों में रहने वाले लोगों के पास अक्सर पक्की छतें नहीं होती हैं जिस कारण उनका गर्मियों में उनका घर आग उगलने लगता है। विश्व संसाधन संस्थान (डब्ल्यूआरआई) ने मुंबई में किए गए एक अध्ययन में पाया कि झुग्गी बस्ती के घरों में, पड़ोस के ही हाउसिंग सोसाइटियों के फ्लैट्स की तुलना में पांच से छह डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्मी होती है।
हालांकि एमआईएस के अनुसार, झुग्गियों और मलिन बस्तियों में शह के अन्य इलाकों के लगभग आधे एसी लगे हुए थे। इसका मतलब है कि लोग सिर्फ आर्थिक कारणों से ही मलिन बस्तियों जैसे अस्त-व्यस्त इलाकों में नहीं रहते। सच्चाई यह है कि भारत के सबसे अमीर 10 प्रतिशत लोगों का लगभग 10वां हिस्सा बेतरतीब आबादी वाले इन्हीं इलाकों में रहता है। इसलिए, यहां तक कि झुग्गियों और मलिन बस्तियों में भी ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में लगभग चार से छह गुना ज्यादा एसी हैं। किसी परिवार के पास कितने समय से एसी है, एमआईएस के आंकड़े यह भी बताते हैं। इससे पता चलता है कि 50ः आवासीय एसी केवल तीन साल पहले खरीदे गए थे और कुल एसी का 80प्रतिशत अधिकतम पांच साल पहले खरीदा गया था। एमआई के आंकड़ों से पता चलता है कि भारतीय घरों में केवल 2 प्रतिशत एसी एक दशक से अधिक पुराने हैं।
 
 
 
 
 
 
 

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