सोनिया शर्मा
नई दिल्ली इस साल लोहड़ी का पर्व 14 जनवरी 2023 को मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार, बता दें कि हर साल मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। आमतौर पर ये पर्व फसल की कटाई का स्वागत करने को लेकर मनाया जाता है। इस पर्व में सभी लोग अग्नि के चारों ओर नृत्य और संगीत करते हपए अपनी खुशी मनाते हैं। इतना ही नहीं इस दिन अग्नि के आसपास घेरा बनाकर दुल्ला भट्टी की कहानी शुरू जाती है। इस कहानी को लेकर कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी की कहानी के बिना लोहड़ी अधूरी है। जानिए दुल्ला भट्टी की कहानी और इसका महत्व।उत्तर भारत में लोहड़ी का पर्व बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन शाम को अग्नि जलाने के साथ उसमें मूंगफली रेवड़ी मक्का आदि अर्पित करते हैं। इसके साथ ही दुल्ला भट्टी की कहानी सुनने की परंपरा है।
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दुल्ला भट्टी की कहानी
ऐसा माना जाता है कि मुगल बादशाह अकबर के समय में पंजाब में दुल्ला भट्टी नाम का एक शख्स रहता था। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी से जांबाजी दिखाते हुए उन लड़कियों की रक्षा की जिन्हें अमीर सौदागरों को बेचा जा रहा था। इसके बाद दुल्ला भट्टी ने इन लड़कियों की शादी करवाई थी। तब से दुल्ला भट्टी को एक नायक का उपाधि दी गई। इसी कारण हर साल दुल्ला भट्टी की कहानी सुनाई जाती है।
शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
लोहड़ी दुल्ला भट्टी की महानता को याद करके जश्न के रूप में मनाई जाती है। त्योहार के दौरान, पंजाबी समुदाय के लोग दूल्ला भट्टी द्वारा किए गए बलिदानों को याद करते हैं।
लोहड़ी का महत्व
लोहड़ी का पर्व फसल की कटाई और बुआई से जुड़ा है। लोहड़ी की रात को साल की सबसे लंबी रात माना जाता है। इसी कारण इस दिन रात को आग जलाकर दुर्भाग्य को दूर कर सौभाग्य की प्राप्ति की जाती है।