हमने सबकी सहमति से बातचीत का फैसला किया था : इमरान खान
लाहौर। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने देश में आतंकवाद की बढ़ती घटनाओं के लिए पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया है। इमरान ने पीटीआई सरकार में प्रतिबंधित हरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के साथ बातचीत करने के फैसले को लेकर हाल ही में हुई आलोचना पर भी बात की। उनसे पूछा गया कि क्या आप टीटीपी से बातचीत को हरी झंडी देने वाले अपने फैसले पर कायम हैं। इसके जवाब में इमरान ने कहा कि उस समय कोई विकल्प नहीं थे। ।
खान ने शनिवार को वायस आफ अमेरिका वेबसाइट के साथ एक साक्षात्कार में ये टिप्पणियां कीं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ महीनों में देश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है, आतंकवादी समूह देश भर में बेखौफ हमलों को अंजाम दे रहे हैं।
सेना और सरकार को लेकर छलका दर्द
इमरान खान का मानना है कि किसी भी देश की व्यवस्था तब विफल हो जाती है, जब उसकी चुनी हुई सरकार के पास जिम्मेदारी और अधिकार दोनों नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि संतुलन (शक्ति का) का प्रमुख सिद्धांत यह है कि चुनी हुई सरकार जिसके पास जिम्मेदारी है, जिसे लोगों ने अपने वोट दिया है, उसके पास अधिकार भी होना चाहिए।
नवाज शरीफ ने चुनाव कराने के लिए रखी शर्त
खान ने कहा कि अगर अधिकार सेना प्रमुख के पास है, लेकिन जिम्मेदारी प्रधानमंत्री के पास है, तो कोई व्यवस्था काम नहीं करेगा। इमरान खान ने दावा किया कि पीएमएल-एन सुप्रीमो नवाज शरीफ ने चुनाव कराने के लिए शर्त रखी है कि पहले उन्हें अयोग्य घोषित किया जाए और जेल भेजा जाए।