वृक्ष आपको चैन की सांस दे सकता है। चूँकि वन हमारी भूमि के फेफड़े हैं। पेड़ हानिकारक गैसों को अवशोषित करते हैं और ऑक्सीजन उत्सर्जित करते हैं। अधिक वृक्षारोपणऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाने में मदद कर सकता है वृक्षों ने हमें जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीजें खाना और ऑक्सीजन दिया है। न सिर्फ यह दो चीज बल्कि वृक्षों के कारण ही हमें रहने को घर, दवाइयाँ, और कई प्रकार के अन्य औज़ार प्राप्त होते हैं। आज विश्व भर में बढ़ते जनसंख्या के कारण और लोगों द्वारा पेड़ो को काटने के कारण आज पेड़ो की आवश्यकता बढ़ते चले जा रही है। इस आधुनिक युग के जीवन काल के कारण मनुष्य पेड़ो को बहुत तेज़ी से काट रहे हैं जिसके कारण आने वाले कुछ वर्षों में मनुष्य को बहुत सारे कठिनाइयों से गुज़रना पड़ सकता है। पेड़-पौधे हर समाज के लिए एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं। हमारे आस-पास के जगहों जैसे गलियों, पार्क, खेल के मैदान, और बगीचे में पेड़ पौधे स्वच्छ वायु प्रदान करते हैं और वातावरण को हरा-भरा और शांत रखते हैं। वृक्षों से आस-पास का वातावरण सुन्दर और स्वच्छ रहता है जिससे जीवन जीने का स्तर बढ़ जाता है। पेड़-पौधों की छाव में अपने परिवार के साथ बैठ कर समय बिताने का एक अलग ही आनंद होता है। साथ ही शहरी क्षेत्रों में सड़क के दोनों तरफ पेड़ पौधे लगाने से सूरज की किरण को पेड़ रोकते हैं जिससे गर्मी के महीनों में शहर का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ पाता है। पेड़-पौधें मनुष्य को स्वच्छ वायु और ऑक्सीजन प्रदान करते हैं, साथ ही जलवायु सुधार, जल संरक्षण, मिट्टी के संरक्षण, और वन्य जीवन की सुरक्षा करते है। प्रकाश संश्लेषण या फोटोसिंथेसिस प्रोसेस के दौरान पेड़ पौधे कार्बन डाइऑक्साइड ले लेते हैं और ऑक्सीजन को छोड़ते हैं। यही ऑक्सीजन मनुष्य को सांस लेने और जीवित रहने में मदद करता है। अमेरिका के कृषि अनुसंधान विभाग का कहना है की एक एकड़ जंगल से लगभग 6 टन कार्बन डाइऑक्साइड खत्म होता है और 4 टन ऑक्सीजन वायु को पेड़ो के माध्यम से प्राप्त होता है। इतने ऑक्सीजन से 18 से 20 लोग आराम से 1 वर्ष तक जीवित रह सकते हैं। साथ ही पेड़ पौधे, गाड़ियों और कारखानों से उत्पत्ति होने वाले कार्बन डाइऑक्साइड गैस को भी खींच लेते हैं और ऑक्सीजन में बदल देते हैं। गर्मी के महीनों में लंबे वृक्ष सूरज की तपती किरण को धरती तक पहुंचने से रोकते है जिससे धरती का तापमान ज्यादा नहीं बढ़ पाता है। बारिश के महीने में पेड़-पौधे के जड़ मजबूती से मिट्टी को पकड़ कर रखते हैं इससे मृदा अपरदन नहीं हो पाता है। ना सिर्फ धरती के ऊपर बल्कि धरती के अंदर के पानी को भी पेड़ पौधों के जड़ पकड़ कर रखते हैं जिससे बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा नहीं हो पाती है। प्रति वर्ष कई टन पत्ते पेड़ों से गिरते हैं जिनसे अगर हम चाहें तो प्राकृतिक खाद बना सकते हैं। कई जीव-जंतु जैसे बकरी, हाथी, कोआला, बंदर, जिराफ आदि अपना पूरा जीवन पेड़ पौधों के पत्ते खाकर गुजारते हैं। कई लाख प्रजाति के पक्षी पेड़-पौधों पर रहते हैं। हर कोई व्यक्ति पेड़ पौधों को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि पेड़ पौधे देखने में बहुत ही सुंदर और अद्भुत होते हैं। सभी पेड़ पौधे देखने में सुंदर और अपनी जगह एक अलग ही रूप रंग और आकार के होते हैं। हमारे देश भारत में वृक्षों की पूजा की जाती है और उन्हें भगवान का दर्जा दिया जाता है। कुछ महत्वपूर्ण पेड़ पौधे जैसे बरगद, पीपल, आम, बेल, केला कुछ आसान उदाहरण है जिनका हमारे देश में बहुत ही अधिक आध्यात्मिक मूल्य है। पेड़ पौधे हमारे जीवन और पर्यावरण में एक शांत और आरामदायक वातावरण को बनाये रखते हैं। आज के इस आधुनिक युग में जब हर जगह नए शहर बन रहे हैं और घर बन रहे हैं ऐसे में पेड़ पौधों का व्यावसायिक मूल्य बहुत ही अधिक हो चुका है। आज भी विश्व के कई हिस्सों मैं लकड़ी को खाना पकाने के रूप में सबसे पहला ईंधन माना जाता है। पेड़ से हमारा घर बनता है, फर्नीचर मिलता है, कई प्रकार के औजार बनते हैं पर लाखों छोटे-मोटे उपयोगी घरेलू चीजें बनती है। पेड़ पौधों से हमें खाने के लिए फल, बादाम भी मिलते हैं जो इसका सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। कुछ पेड़ो के अंदरुनी भाग से लैटेक्स प्राप्त होता है जिससे रबर बनाया जाता है। इसे लाखों महत्वपूर्ण रोज़ के कार्य हैं जो पेड़-पौधों के बिना असंभव हैं। आज मनुष्य स्वयं के स्वार्थ के लिए पेड़ो को तेजी से कटता चले जा रहा है। अत्यधिक पेड़ काट देने के कारण ग्लोबल वार्मिंग, एसिड बारिश और ग्रीन हाउस इफ़ेक्ट जैसे मुश्किलों का सामना मनुष्य को करना पड़ रहा है। आज पर्यावरण का संतुलन बनाए रखने के लिए पेड़-पौधों को बचाना बहुत ही आवश्यक हो गया है। धीरे-धीरे पूरे विश्व भर की जनसंख्या बढ़ती चली जा रही है जिसके कारण लोगों को रहने के लिए नए घर बनाने पढ़ रहे हैं और इसी कारण पेड़ो को बहुत तेजी से काटा जा रहा है। कई जगहों पर बड़े-बड़े कल कारखाने बनाने के लिए लोग बड़े-बड़े जंगलों को साफ कर रहे हैं जो की आने वाले समय में कई प्रकार के प्राकृतिक आपदाओं का कारण बन सकता है। शहरी इलाकों में पेड़ो की कमी के कारण गाड़ियों से निकलने वाला प्रदूषित वायु आसमान में ही मंडराता रहता है। सोचने की बात यह है कि कहीं कोई ऐसा दिन ना आ जाए जिससे मनुष्य को ऑक्सीजन की कमी होने लगे क्योंकि पेड़ पौधे ही पर्यावरण से कार्बन डाइऑक्साइड को लेकर हमें ऑक्सीजन देते हैं। अगर कोई एसा दिन आया तो वह मनुष्य का अंत होगा और उसका कारण मनुष्य द्वारा फैलाया हुआ प्रदुषण और पेड़ों की कटाई होगा।
कबीर दास का दोहा है- वृक्ष कबहुं न फल भखै, नदी न संचय नीर, परमार्थ के कारने साधु न धरा शरीर३ जिसका अर्थ है कि साधु का स्वभाव परोपकारी होता है, जैसे वृक्ष कभी अपना फल स्वयं नहीं खाता है और नदी जिस प्रकार से स्वयं के नीर का संचय नहीं करती है।ऐसे दिन को कभी भी ना आने देने के लिए आज हम सभी को यह प्रण लेना होगा कि हम किसी को भी पेड़ काटने नहीं देंगे और प्रति महीने एक पौधा अपने मोहल्ले में ज़रूर लगाएंगे।