आज सुबह माउंट आबू की धरती पर कदम रखा तो लगा जैसे लंबे गहरे अंधेरे के बाद उजाला हो गया हो। अलसवेरे लगभग तीन बजे आबू रोड रेलवे स्टेशन पर बने ब्रह्माकुमारीज बस स्टैंड पर वही पहले जैसी चहल पहल थी। हालांकि ईश्वरीय सेवा व राजयोग का अभ्यास करने आए यात्रियों की संख्या बड़ी सुबह होने के कारण दिन की अपेक्षा कम थी ,लेकिन सभी के चेहरों पर एक असीम सुख व शांति का भाव हमे एहसास करा रहा था कि कि हम परमात्मा के अपने घर ब्रह्माकुमारीज आए है। सबके चेहरे पर एक चमक भी थी ,इस रूहानी यात्रा को लेकर।इनमे अधिकतर ज्ञान सरोवर जा रहे थे, कुछ को शांति वन जाना था। तभी हमारी गाड़ी आ गई और ईश्वरीय सेवा में लगे ब्रह्माकुमार भाई ने हमे दस मिनट में शांतिवन पहुंचा दिया। सुबह साढ़े तीन बजे जब सभी नीद के गहरे आगोश में सोए हो तब भी ब्रह्माकुमारीज में अमृत बेला का योग शुरू हो चुका था। यह वह संस्था है जो अपने राजयोग के माध्यम से दुनियाभर को पवित्रता और शांति देती है। शांतिवन में पहली बार एक कमी खली,जिस दादी जानकी को हम उनकी 104 वर्ष की आयु में भी शक्ति भवन में सबको दुआएं देते देखते थे,उनके परमधाम चले जाने के कारण उनका स्मृति स्थल ही उनकी याद का साक्षी बन गया है। साथ ही जिन र्ह्दयमोहिनी दादी जिन्हें प्यार से गुलजार दादी कहते है और जिनके माध्यम से परमात्मा के ईश्वरीय वाक्य सुनकर हम प्रभु मिलन मनाते थे,उनके द्वारा भी शरीर छोड़ देने के कारण उनकी स्मृति भी सदा के लिए यहां स्थापित हो गई।दादी जानकी कहती थी,मैं कौन ?मेरा कौन? यानि मैं एक आत्मा और मेरा केवल परमात्मा। बिलकुल वही अनुभूति अमृत बेला में इस धरा पर आकर मुझे हुई। इस यात्रा में मेरे साथ आए सूचना विभाग उत्तराखंड के उपनिदेशक डा मनोज श्रीवास्तव, दिव्य हिमगिरि के प्रधान संपादक कुंवर राज आस्थाना, पोस्टल ट्रेनिग सेंटर सहारनपुर के अधिकारी प्रवीण कुमार, डाक विभाग में एसपी रहे अरविद भारद्वाज, पंजाब केसरी के वरिष्ठ पत्रकार अनिल पुंडीर, साधना न्यूज चैनल के प्रदीप कुमार यादव ,नई दिल्ली से ललिता सहरावत आदि ने ब्रह्माकुमारीज के द्वारा संसार मे शांति स्थापना, चरित्र निर्माण और मूल्यपरक शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए संस्था की प्रशंसा की।
दुनिया को शांति,एकता व सम्रद्धि के सूत्र में पिरोने के लिए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने हमेशा नैतिकता को अपनाकर ईश्वरीय पथ पर चलने की सीख दी है।दादी जानकी कहा करती थी, परमात्मा मेरा शिक्षक, सद्गुरु, सखा, माता और पिता भी है। मैं सदा याद रखती हूं, मैं कौन (आत्मा) और मेरा कौन (परमात्मा)। हम सभी एक पिता की संतान हैं। आपस में भाई-बहन हैं। इसी स्वमान में सदा मग्न रहती हूं। यदि जीवन में प्रेम और सच्चाई है तो खुशी अपने आप आ जाएगी। सदा खुश रहो, आबाद रहो। ब्रह्माकुमारी संगठन की ओर से नारी शक्ति के सम्मान में जो कार्य किया रहा है ,उस पर आज नही तो कल एक इतिहास लिखा जाएगा।क्योंकि भारत की पहचान उसकी भौगोलिकता, देश के नाम व सीमा से नहीं है बल्कि भारत की पहचान उसकी आध्यात्मिकता से है।ब्रह्माकुमारीज के आश्रमो में जाकर आध्यात्मिक ऊर्जा, उत्साह, शान्ति, सदभाव का प्रेरणादाई अनुभव होता है। यह संस्था विश्व के 140 देशों में चेतना जागृति, ध्यान, आत्म सशक्तिकरण, राजयोग मेडिटेशन का कार्य अनवरत कर रही है।यह कार्य साधारण नही है, इसी लिए इसे परमसत्ता का कार्य ही कहा जा सकता है। परमसत्ता की सच्चाई अविभाज्य है। आंतरिक भाव से ही सत्य को खोजा जा सकता है। स्वामी रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी आदि ने अपने- अपने तरीके से सत्य की खोज की। भारत ने दुनिया को युद्ध नही बल्कि बुद्ध दिया है ओर यही सुखद सीख ब्रह्माकुमारीज भी दे रही है। ब्रह्माकुमारीज जो मानव जाति के चारित्रिक उत्थान, आध्यात्मिक विकास और संपूर्ण के कल्याण के लिए कार्य कर रही है, मीडिया उसे लोगों को बताए,तो लोग सुधरेंगे ओर बताए मार्ग की ओर अग्रसर होंगे।भारत ही है जो संपूर्ण विश्व में शांति, सद्भाव और समृद्धि का संदेश दे रहा है। भारत का विश्व में मान-सम्मान बढ़ रहा है। महात्मा गांधी ने भी वर्षों पहले विश्वभर में शांति और अहिंसा का संदेश दिया था, जिसे आज भी दुनिया मानती है। शांति, सद्भाव, नैतिकता, परोपकार, सतकर्म तो हमारी संस्कृति रही है। सदियों से भारत विश्व में आध्यात्म की गंगा बहा रहा है। भारत विश्वगुरु था और फिर से बनने जा रहा है। इसमें ब्रह्माकुमारीज संस्थान की अहम भूमिका है। क्योंकि यह संस्था न केवल भारत बल्कि विश्व के 140 देशों में आध्यात्म की अनूठी अलख जगा रही है। संस्था से जुड़कर लाखों युवा भाई-बहनें लोगों को आध्यात्मिकता अपनाने का संदेश दे रहे हैं। लाखों परिवार तन-मन-धन से इस कार्य को आगे बढ़ाने में समर्पित रूप से जुटे हुए हैं। नए उत्साह, नई उमंग,नए जोश के साथ युग परिवर्तन की ओर बढ़ रही राजयोगिनी बीके रतनमोहिनी दादी के नेतृत्व में संस्था का मिडियविग एक बार फिर से ज्ञान सरोवर में राष्ट्रीय मीडिया सेमिनार का यज्ञ रच रहा है,जिसमे आहुति डालने के लिए देश विदेश से बड़ी संख्या में मीडिया के भाई बहन आए है,जिनका सम्मान स्वागत सत्र के माध्यम से किया गया है।