मालदीव। मालदीव एक बार फिर चीन की गोद में जाकर बैठने को तैयार है। इसी कड़ी में मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर आज से चीन की चार दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर जाएंगे। अपनी यात्रा के दौरान जमीर अपने चीनी समकक्ष वांग यी और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। मूसा की यात्रा इसलिए भी खास मानी जा रही है, क्योंकि इससे पहले जब मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीन गए थे, तो उसके बाद उनके भारत के प्रति स्वर बदल गए थे। नवंबर 2023 में मालदीव के विदेश मंत्री बनने के बाद जमीर की यह पहली चीन यात्रा होगी। मालदीव के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, अपनी यात्रा के दौरान जमीर उन प्रमुख चीनी कंपनियों के साथ चर्चा करेंगे, जिन्होंने मालदीव के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मालदीव के राष्ट्रपति की चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों में एक सैन्य समझौता हुआ था। चीन की ओर से मालदीव को मुफ्त सैन्य सहायता देने और मजबूत द्विपक्षीय रिश्तों की बात कही गई थी। चीन से सैन्य समझौते के बाद ही मालदीव के भारत के प्रति स्वर बदल गए थे और उसने भारत से अपने सैनिक वापिस बुलाने को कह दिया था। अब मालदीव के विदेश मंत्री मूसा जमीर की चीन यात्रा को लेकर भी ये कयास लगाए जा रहे हैं कि दोनों देश भारत के खिलाफ कोई नई खिचड़ी पका सकते हैं। इससे पहले जनवरी में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के निमंत्रण पर चीन की राजकीय यात्रा पर थे। पिछले साल नवंबर में पदभार संभालने के बाद से मालदीव के राष्ट्रपति की यह पहली राजकीय यात्रा थी। मुइज्जू ने चीनी सरकार के साथ महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर किए और दोनों देशों के बीच सहयोग बढ़ाने के लिए आधिकारिक वार्ता की। मुइज्जू ने दोनों देशों के बीच सामाजिक-आर्थिक संबंधों और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के अवसरों का पता लगाने के लिए चीनी अधिकारियों के साथ कई बैठकें भी कीं।