नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का बड़ा महत्व है। इस दिन श्री हरि और चंद्र देव की पूजा का विधान हैं। इस महीने वैशाख पूर्णिमा 23 मई, 2024 को मनाई जाएगी। यह दिन पूजा-पाठ और अन्य धार्मिक विधियों के लिए बहुत खास माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन का उपवास रखने से मानसिक शांति मिलती है और जीवन में शुभता आती है। इसके अलावा यह व्रत चंद्रमा को अर्घ्य दिए बिना अधूरा रहता है, तो यहां जानते हैं चंद्रमा को अर्घ्य कैसे देना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए ?
चंद्रमा को अर्घ्य देने का नियम
सबसे पहले सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करें।
यदि जो लोग किसी कारण गंगा स्नान के लिए नहीं जा सकते हैं वे घर पर ही स्नान के पानी में गंगाजल मिलाएं।
इसके बाद शाम के समय स्वच्छ हो जाएं।
चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें।
अर्घ्य के जल में चांदी या फिर तांबे के सिक्के, अक्षत, रोली, सफेद फूल, पान, सुपारी, कच्चा दूध मिलाएं।
इसके बाद विधि अनुसार चंद्र देव की पूजा करें।
चांद की रौशनी में कुछ देर ध्यान करें।
वैदिक मंत्रों का जाप करें।
अर्घ्य देते समय भूलकर भी जूता, चप्पल न पहनें।
सही दिशा में मुख करके अर्घ्य दें।
अर्घ्य के दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।
अर्घ्य के दौरान भगवान चंद्रमा के मंत्रों का जाप करें।
चंद्र देव मंत्र
ॐ श्रां श्री श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।।
ॐ श्रां श्री श्रौं सः चन्द्रमसे नमः।।
चंद्र देव स्तुति
शीतांशु, विभांशु अमृतांशु नमः
श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।
गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।।
श्री ह््री क्ली ऐं स्वाहाः’’