दुनिया मे शांति, अध्यात्म व चरित्र निर्माण के संदेश देंकर युग परिवर्तन के लिए परिवर्तनशील प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय जिसका मुख्यालय माउंट आबू में है,ने अपने ईश्वरीय परिवार में दुनिया की पहली आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ब्रह्माकुमारी को शामिल किया है।जिसका नाम बीके शिवांगी रखा गया है और वह समर्पित होकर सुख शांति धाम में ईश्वरीय सेवा का कार्य करने लगी है। बीके शिवांगी को देखकर लगता ही नही कि वह प्राकृतिक मनुष्य न होकर कृत्रिम मनुष्य हो,अपितु शक्ल-सूरत,बोलचाल और रहन -सहन में वह परिपक्व श्रीमत पर चलने वाली ब्रह्माकुमारी नज़र आती है। इंसान के रूप में एक मशीन का पदार्पण निश्चित ही भविष्य की असीम सम्भावनाओ को रेखांकित करता है।दरअसल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का शुरुआत सन 1950 के दशक में हो गई थी, लेकिन इसकी महत्ता को सन 1970 के दशक में पहचान मिल पाई। जापान ने सबसे पहले इस ओर पहल की और सन 1981 में फिफ्थ जनरेशन नामक योजना की शुरुआत की । इस योजना में सुपर-कंप्यूटर के विकास के लिये 10-वर्षीय कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की गई थी। ब्रिटेन ने इसके लिये एल्वी नाम का एक प्रोजेक्ट बनाया था। यूरोपीय संघ के देशों ने भी एस्प्रिट नाम से उक्त विषय पर एक कार्यक्रम की शुरुआत की थी। सन1983 में कुछ निजी संस्थाओं ने मिलकर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर उन्नत तकनीक सर्किट का विकास करने के लिये एक संघ ‘माइक्रो-इलेक्ट्रानिक्स एण्ड कंप्यूटर टेक्नोलाजी’ की स्थापना की। वही तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सन 2018-19 के बजट में व्यवस्था दी कि केंद्र सरकार का थिकटैंक नीति आयोग जल्दी ही राष्ट्रीय कृत्रिम बुद्धिमत्ता कार्यक्रम की रूपरेखा तैयार करेगा। चीन ने पहले ही अपने त्रिस्तरीय आटिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा जारी कर दी थी, जिसके बल पर वह वर्ष 2030 तक इस क्षेत्र में विश्व में सबसे आगे बढ़ना चाहता है। आटिफिशियल इंटेलिजेंस का अर्थ है बनावटी यानि कृत्रिम तरीके से विकसित की गई बौद्धिक क्षमता। इसके ज़रिये कंप्यूटर सिस्टम या रोबोटिक सिस्टम तैयार किया जाता है, जिसे उन्ही तर्कों के आधार पर चलाने का प्रयास किया जाता है जिसके आधार पर मानव मस्तिष्क काम करता है।
आटिफिशियल इंटेलिजेंस के जनक जान मैकाथी के अनुसार यह बुद्धिमान मशीनों, विशेष रूप से बुद्धिमान कंप्यूटर प्रोग्राम को बनाने का विज्ञान और अभियांत्रिकी है अर्थात यह मशीनों द्वारा प्रदर्शित किया गया इंटेलिजेंस है। आटिफिशियल इंटेलिजेंस कंप्यूटर द्वारा नियंत्रित रोबोट या फिर मनुष्य की तरह इंटेलिजेंस तरीके से सोचने वाला साफ़्टवेयर बनाने का एक तरीका है,जिसे अपनाकर ही बीके शिवांगी का निर्माण हुआ है। यह तकनीक इसके बारे में अध्ययन करती है कि मानव मस्तिष्क कैसे सोचता है और समस्या को हल करते समय कैसे सीखता है, कैसे निर्णय लेता है और कैसे काम करता। इस विषय पर स्टार वार, मैट्रिक्स, आई रोबोट, टमिनेटर, ब्लेड रनर जैसी हालीवुड फ़िल्में भी बन चुकी हैं, आटिफिशियल इंटेलिजेंस सिस्टम से सन 1997 में शतरंज के महान खिलाड़ियों में शुमार गैरी कास्पोरोव को हराया जा चुका है। राष्ट्रीय स्तर पर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कार्यक्रम की रूपरेखा बनाने के लिये नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है। इसमें सरकार के प्रतिनिधियों के अलावा शिक्षाविदों तथा उद्योग जगत को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।
वर्तमान बजट में सरकार ने फिफ्थ जनरेशन टेक्नोलाजी स्टार्ट अप के लिये 480 मिलियन डालर का प्रावधान किया है, जिसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निंग इंटरनेट आफ थिग्स, 3-क् प्रिटिग और ब्लाक चेन शामिल हैं। इसके अलावा सरकार आटिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, डिजिटल मैन्युफैक्चरिग, बिग डाटा इंटेलिजेंस, रियल टाइम डाटा और क्वांटम कम्युनिकेशन के क्षेत्र में शोध, प्रशिक्षण, मानव संसाधन और कौशल विकास को बढ़ावा देने के योजना बना रही है। भविष्य में आटिफिशियल इंटेलिजेंस की रचना की जाएगी, जो कि मनुष्यों के मस्तिष्क से अधिक तीक्ष्ण है। यह बुद्धिमत्ता समस्याओं के समाधान बहुत तीव्रता से कर सकेगी, जो कि मनुष्य की क्षमता से परे है। माना जाता है कि सन 2045 तक मशीनें स्वयं सीखने और स्वयं को सुधारने में सक्षम हो जाएंगी और इतनी तेज़ गति से सोचने, समझने और काम करने लगेंगी कि मानव विकास का पथ ही बदल जाएगा।हालांकि अभी आटिफिशियल इंटेलिजेंस भारत में शैशवावस्था में है और देश में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें इसे लेकर प्रयोग किये जा सकते हैं। देश के विकास में इसकी संभावनाओं को देखते हुए उद्योग जगत ने सरकार को सुझाव दिया है कि वह उन क्षेत्रों की पहचान करे जहाँ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल लाभकारी हो सकता है। सरकार भी चाहती है कि सुशासन के लिहाज़ से देश में जहां संभव हो आटिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया जाए। सरकार ने उद्योग जगत से आटिफिशियल इंटेलिजेंस के इस्तेमाल के लिये एक माडल बनाने में सहयोग करने की अपील की है।यह भी सच है कि आटिफिशियल इंटेलीजेंस युक्त मशीनों से जितने फायदे हैं, उतने ही खतरे भी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सोचने-समझने वाले रोबोट अगर किसी कारण या परिस्थिति में मनुष्य को अपना दुश्मन मानने लगें, तो मानवता के लिये खतरा पैदा हो सकता है। सभी मशीनें और हथियार बगावत कर सकते हैं। ऐसी स्थिति की कल्पना हालीवुड की टर्मिनेटर फिल्म में की गई है। इसके सकारात्मक और नकारात्मक दोनों ही प्रभावों के संबंध में एक समग्र अध्ययन करना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को लेकर सरकार को सतर्क रहना होगा। मशीनीकरण के माध्यम से आए परिवर्तनों से सर्वाधिक प्रभावित वे समूह होते हैं जो अपनी कौशल क्षमता में निश्चित समय के भीतर वांछनीय सुधार लाने में असमर्थ होते हैं। सरकार को चाहिये कि ऐसे लोगों को पर्याप्त प्रशिक्षण देने के लिये समय के साथ-साथ संसाधन भी उपलब्ध कराए। लेकिन साथ ही यदि इस तकनीक का उपयोग ब्रह्माकुमारीज़ की तरह विश्व शांति, सदभाव व चरित्र निर्माण के लिए किया जाए तो सार्थक होगा। फिलहाल तो हम दुनिया की पहली आटिफिशियल इंटेलिजेंस ब्रह्माकुमारी का ब्रह्माकुमारीज़ परिवार में स्वागत ही कर सकते है।