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नतीजों से पहले नए यादवत्व की स्थापना

अब तक मिले संकेतों से लगता है कि भाजपा का सत्ता में बने रहना आसान नही

25 May 2024 12:44 PM 164 views

नतीजों से पहले नए यादवत्व की स्थापना

देश में 4  जून को आने वाले लोकसभा चुनाव परिणामों से पहले सत्तारूढ़ दल में नए प्रयोग तेजी से चल रहे है ।  सत्तारूढ़ दल हाल ही में संघ से छोड़-छुट्टी का ऐलान कर ही चुका है और अब लगता है कि भाजपा ने पाटी की सरकारों में सबसे ज्यादा लोकप्रिय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विकल्प के तौर पर मध्य्प्रदेश के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव को नए यादव नेता के रूप में स्थापित करने की मुहिम  शुरू कर दी है। भाजपा और उसके नेतृत्व वाला गठबंधन चाहे सरकार बना पाए या न बना पाए लेकिन अब उसे योगी जी किसी   भी सूरत में बर्दाश्त होने वाले नहीं है।
पिछले दो महीने की गतिविधियों की समीक्षा के बाद ये तथ्य सामने आया है कि मोशा की जोड़ी 4  जून के बाद यदि सबसे पहले किसी के आभामंडल को कम करेगी तो वो होंगे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। योगी जी ने अपने तरीके से उत्तर प्रदेश को बनाया है और और प्रदेश में ही नही बल्कि दूसरे राज्यों में उनका कथित सुशासन माडल की तरह लोकप्रिय हो रहा है ,और यही मोशा की जोड़ी को बर्दाश्त नहीं। लोकसभा चुनावों के हर चरण में भाजपा प्रत्याशियों ने यदि मोशा के बाद किसी नेता की मांग की है तो वो नाम है योगी आदित्यनाथ का। अब नाथ मोशा के सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बनकर उभरे हैं। पहले उनकी  जगह केन्दीय मंत्री नितिन गडकरी का नाम सबसे ऊपर लिया जाता था।
जानकार बताते हैं कि चुनाव के पांचवें चरण  के बाद जहाँ-जहाँ से योगी की मांग आयी,वहां-वहां मोशा की जोड़ी ने विकल्प के तौर  पर मप्र के मुख्यमंत्री डा मोहन  यादव को भेजा ।  खासतौर पर यादव बाहुल्य वाले राज्यों और चुनाव क्षेत्रों में। मोहन यादव हालाँकि अभी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिह चौहान की तरह आम जनता  के मामा नही बन पाए हैं किन्तु भाजपा नेतृत्व उन्हें योगी के स्थान पर पाटी का नया यादव नेता बनाने में जरूर रूचि ले रही है। डा मोहन यादव ने भी योगी की तरह प्रदेश में आल्प्सख्यकों को हड़काना शुरूकर दिया है ।  हाल ही में   उन्होंने प्रदेश के मुस्लिमों को चेतावनी दी है कि यदि किसी ने भी सड़कों पर नमाज पढ़ने की कोशिश की तो उसकी खैर नही।
डा मोहन यादव को मुख्यमंत्री बने छह महीने से ज्यादा का समय हो गया है,लेकिन उनकी पहचान अभी तक मुख्यमंत्री के रूप में स्थापित नहीं हो पायी है ,लेकिन एक यादव नेता के रूप में स्थापित होने में उन्हें ज्यादा कामयाबी मिली है।  मोशा   की जोड़ी ने उन्हें अप्रत्याशित  रूप से शिवराज सिह चौहान की जगह मप्र का मुख्यमंत्री बनाया था ,जबकि राज्य विधानसभा का चुनाव चौहान के चेहरे और उनकी सरकार की उपलब्धियों के आधार पर ही लड़ा गया था । कहा जाता है कि शिवराज सिह का कद एक मुख्यमंत्री के रूप में तो बड़ा हो ही चुका था लेकिन वे लोगों को ( पाटी के भीतर भी और बाहर भी ) प्रधानमंत्री माननीय मोदी जी का विकल्प लगने लगे थे ,इसलिए उन्हें राज्य सत्ता  से बेदखल कर दिया गया ।  अब वे पहले की तरह मात्र    एक लोकसभा सदस्य की हैसियत में रहेंगे । सरकार बनने पर जरूर उन्हें  नरेंद्र सिह तोमर के प्रदेश वापस आने से हुई रिक्त कुर्सी दी जा सकती है।
चुनाव के छठवें चरण   को पार कर चुकी भाजपा का नेतृत्व इस बात को लेकर बहुत सतर्क है की पार्टी में कोई भी चूहे से बिल्ली बनकर मोशे की जोड़ी की तरफ म्याऊं न करे। मोशा कोई जोड़ी ने चुन-चुनकर चूहे से बिल्ली बनने की कोशिश कर रहे तमाम नेताओं को कमजोर कर दिया है। चूहों को बिल्ली बनाने वाले आरएसएस से भी मोशा ने तर्के -ताल्लुक करने के संकेत  दे दिए हैं। पाटी अध्यक्ष जेपी नड्ढा के जरिये ये कहलाया जा चुका है कि भाजपा को अब संघ की जरूरत नही है। संघ अपनी बिल्ली को अपने ऊपर म्याऊं करते हुए देखकर खुद सन्निपात   में हैं। संघ नेतृत्व को खुद ये आशंका है कि यदि 4  जून के बाद भाजपा फिर से बहुमत में आयी तो मोशा संघ को ही कही अपना चूहा न बना ले ! संघ की पशोपेश देखते ही बनती है।
अब तक मिले संकेतों से लगता है कि भाजपा का सत्ता में बने रहना आसान नही है ,किन्तु  मोदी है तो मुमकिन है  के नारे के साथ भाजपा ईवीएम की मदद से सत्ता सिहासन पहुंच भी सकती है।  पिछले साल पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने ये चमत्कार करके दिखा भी दिया था। जब पूरा देश पांच में से तीन राज्यों में कांग्रेस की वापसी का राग अलाप रहा था तब भाजपा ने पांच में से चार पर अपना कब्जा बना लिया था। तमाम अटकलें गलत  साबित   हो गयी थी। मुमकिन है कि लोकसभा चुनाव में भी यही सब फिर से दोहराया जाये। आखिर भाजपा को 400  पर करना है।
बहरहाल अभी सभी की   नजर 25  मई को समाप्त हुए मतदान के छठवें चरण के बाद अंतिम चरण पर टिकी हुईं है। अंतिम चरण  में जिन राज्यों में मतदान होना है उन राज्यों की यादव बाहुल्य वाली सीटों पर मोशा मप्र के मुख्यमंत्री डा मोहन यादव का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रही है ।  योगी से भी ज्यादा महत्व मोहन जी को दिया जा रहा है ।  खुद योगी जी भी इस तब्दीली को महसूस कार रहे हैं। अब देखना ये होगा कि देश में अगला माडल गुजरात का चलेगा या उत्तर प्रदेश का ? उत्तर प्रदेश का चलेगा या मध्यप्रदेश का ?आप भी इस तब्दीली पर नजर रखियर और बताइये की आपको या महसूस होता है ?