सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण सदन में बजट पेश किया। यह मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट हैं। केंद्र सरकार ने अपना बजट 9 बिंदुओं पर केंद्रीत किया है। ये हैं-खेती में प्रोडक्टिविटी, समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय, रोजगार और स्किल, सामाजिक न्याय, निर्माण और सेवा, शहरी विकास, एनर्जी सिक्योरिटी, इन्फ्रास्ट्रक्चर, इनोवेशन, रिसर्च और विकास और अगली पीढ़ी के सुधार का सुधार।
खेती-किसानी के लिए बजट में
बजट में किसानों के लिए बड़ी घोषणा की गई है. इस बजट में खेती-किसानी से जुड़ी योजनाओं और कार्यों के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये खर्च करने का ऐलान किया है. इससे पहले अंतरिम बजट में वित्त मंत्री ने कृषि के लिए 1.47 लाख करोड़ रुपये का बजट रखा था. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए कहा, जैसा कि अंतरिम बजट में उल्लेख किया गया है, हमें 4 अलग-अलग जातियों, गरीब, महिला, युवा और किसान पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है. किसानों के लिए, हमने सभी प्रमुख फसलों के लिए उच्च न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है, जो लागत से कम से कम 50प्रतिशत मार्जिन के वादे को पूरा करता है. पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना को 5 साल के लिए बढ़ाया गया, जिससे 80 करोड़ से अधिक लोगों को लाभ हुआ. इस बार झींगा उत्पादन और निर्यात पर जोर दिया जाएगा. झींगा पालन और निर्यात के लिए नाबार्ड द्वारा फंडिंग की जाएगी।
कृषि क्षेत्रों के लिए 1.52 लाख करोड़ का आवंटन
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में कहा कि इस साल कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए आवंटन 1.52 लाख करोड़ रुपये है. किसानों के लिए 32 कृषि और बागवानी में फसलों की 109 उच्च-पैदावार और जलवायु-अनुकूल किस्में जारी की जाएगी. देश भर में एक करोड़ किसानों को प्रमाणीकरण और ब्रांडिंग के माध्यम से प्राकृतिक खेती के लिए मजबूत समर्थन, क्रियान्वयन में सहायता के लिए 10 हजार आवश्यकता आधारित जैव-इनपुट संस्थान केंद्र स्थापित किए जाएंगे
बजट में कृषि के लिए ये घोषणाएं
वित्त मंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा कि कृषि के उत्पादन में उत्पादकता और लचीलापन लाने पर जोर है. फसलों की नई किस्मों को जारी करने में मदद की जाएगी. अगले 2 वर्षों में 1 करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में मदद की जाएगी. दलहन और तिलहन के लिए मिशन शुरू होगा. सरकार उनके उत्पादन और मार्केटिंग को मजबूत करेगी।
नेचुरल फार्मिंग के लिए 1 करोड़ किसानों को बढ़ावा
वित्तमंत्री ने बजट पेश करते हुए कहा, इस बार नेचुरल फार्मिंग पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है, 2 साल में 1 करोड़ किसानों ने नेचुरल फार्मिंग को अपनाया है. किसानों के लिए 1 हजार बायो रिसोर्स सेंटर बनाए गए. दलहन-तिलहन मिशन पर जोर दिया जा रहा है. इस साल सर्टिफिकेशन और ब्रांडिंग के जरिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. 32 फसलों के लिए 109 वैराइटी लॉन्च की जाएगी. इसके साथ ही खेती के लिए डिजिटल सार्वजनिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाए जाएंगे. 6 करोड़ किसानों के जमीन को रजिस्ट्रेशन कराया जाएगा. 5 राज्यों में किसान क्रडिट कार्ड लॉन्च किया जाएगा. 400 जिलों में डिडिटल खरीफ फसल सर्वे किया जाएगा. इसके साथ ही दालों, ऑल सीड्स विस्तार पर मिशन लॉन्च किया जाएगा।
पूर्वोदय स्कीम से चमकेगा पूर्वी भारत
वित्त मंत्री ने देश के पूर्वी राज्यों के विकास के लिए पूर्वोदय स्कीम की घोषणा की है. केंद्र ने बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए पूर्वोदय स्कीम की घोषणा की है. इसके तहत मानव संसाधन विकास, बुनियादी विकास पर ध्यान दिया जाएगा. इस योजना में बिहार के लिए कई सौगात हैं. अमृतसर- कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के तहत गया में औद्योगिक केंद्र बनाया जाएगा. सांस्कृतिक केंद्रों को आधुनिक आर्थिक केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा. इस मॉडल को विकास भी विरासत भी का नाम दिया जाएगा. इसके अलावा रोड कनेक्टिविटी पर भी बढ़ाया जाएगा. इसके तहत पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस वे, बक्सर भागलपुर एक्सप्रेस वे, बोधगया-राजगीर वैशाली दरभंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण किया जाएगा. इसके अलावा बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का पुल भी बनाया जाएगा. इसके लिए 26000 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. इसके अलावा केंद्र सरकार ने काशी की तर्ज पर बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर का निर्माण करने का फैसला किया है।
2400 मेगावाट की क्षमता का पावर प्लांट का निर्माण पीरपैंती में 21400 करोड़ की लागत से किया जाएगा. न्यू एयरपोर्ट, मेडिकल कॉलेज भी बिहार में बनाए जाएंगे. कैपिटल निवेश के लिए भी बिहार को मदद दिया जाएगा. आंध्र प्रदेश के लिए भी सरकार ने अहम घोषणाएं की है. राज्य में राजधानी की जरूरत को स्वीकार करते हुए केंद्र राज्य को अलग अलग एजेंसियों के माध्यम से सहयोग देगा. इस वित्त वर्ष में 15000 करोड़ रुपये इसके लिए व्यवस्था की गई है. निर्मला सीतारमण ने कहा कि पोलावरम सिंचाई परियोजना को भी सरकार पूरा करने जा रही है. आंद्र प्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत विशाखापत्तनम-चेन्नई औद्योगिक गलियारे में कोप्पार्थी क्षेत्र और हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक गलियारे में ओरवाकल क्षेत्र में विकास के लिए फंड दिया जाएगा।
शिक्षा और रोजगार
हर साल 20 लाख युवाओं को इंटर्नशिप, 5 हजार महीना मिलेंगे; 10 लाख के एजुकेशन लोन पर 3 प्रतिशत ब्याज सरकार देगी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शिक्षा के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश किया। यह पिछले बजट से 32 प्रतिशत ज्यादा है। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने नौकरियों और स्किल ट्रेनिंग से जुड़ी 5 स्कीम्स का ऐलान किया है। 1 लाख रुपए से कम सैलरी होने पर, ईपीएफओ में पहली बार रजिस्टर करने वाले लोगों को 15 हजार रुपए की मदद तीन किश्तों में मिलेगी। ये किश्तें डीबीटी के जरिए सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर होंगी। इस स्कीम से 210 लाख युवओं को मदद दी जाएगी। जॉब क्रिएशन इन मैन्युफैक्चरिंग में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर से जुड़े फर्र्स्ट टाइम इम्प्लॉइज को ईपीएफओ जमा के आधार पर पहले 4 साल इंसेंटिव मिलेगा। इससे 30 लाख युवाओं को फायदा मिलेगा। सपोर्ट टू एम्प्लॉयर स्कीम से सरकार एम्प्लॉयर्स का बोझ घटाने का काम करेगी। इसके तहत नए कर्मचारियों के ईपीएफओ कॉन्ट्रिब्यूशंस पर एम्प्लॉयर्स को 2 साल तक हर महीने 3 हजार रुपए का रीएम्बर्सेमंट करेगी। नौकरियों में महिलाओं की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए वर्किंग वुमन हॉस्टल, बच्चों के क्रेच और वुमन स्किलिंग प्रोगाम शुरू किए जाएंगे। 1 करोड़ युवाओं को 5 साल में स्किल्ड किया जाएगा। 1 हजार इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स अपग्रेड किए जाएंगे। हर साल 25 हजार स्टूडेंट्स को स्किलिंग लोन का फायदा दिया जाएगा। सरकार 500 टॉप कंपनियों में 1 करोड़ युवाओं को इंटर्नशिप देगी। इंटर्नशिप के दौरान 5 हजार रुपए हर महीने का स्टाइपेंड मिलेगा। हायर एजुकेशन के लिए 10 लाख तक का लोन जिन स्टूडेंट्स को सरकारी योजनाओं के तहत कोई फायदा नहीं मिल रहा है, उन्हें देशभर के संस्थानों में एडमिशन के लिए 10 लाख तक के लोन में सरकारी मदद मिलेगी। सालाना लोन पर ब्याज का 3प्रतिशत पैसा सरकार देगी। इसके लिए ई-वाउचर्स लाए जाएंगे, जो हर साल 1 लाख स्टूडेंट्स को मिलेंगे।
बुनियादी ढांचे में बंपर निवेश
अगले 5 वर्षों में बुनियादी ढांचे के लिए मजबूत राजकोषीय समर्थन बनाए रखने का सरकार का प्रयास। पूंजीगत व्यय के लए 11,11,111 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। ये भारत की जीडीपी का 3.4 प्रतिशत है। राज्य सरकारों द्वारा बुनियादी ढांचे निवेश का समर्थन करने के लिए दीर्घकालिक ब्याज मुक्त ऋण के लिए 1.5 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में बिहार में 3 एक्सप्रेसवे, भागलपुर के पीरपैंती में पावर प्लांट के साथ ही पूर्वी राज्यों के डेवलपमेंट के लिए पूर्वोदय स्कीम का ऐलान किया है। वहीं जॉब-स्किल डेवलपमेंट के लिए 5 नई योजनाओं की घोषणा की। पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस वे, बोधगया-राजगीर-वैशाली-दरभंगा एक्सप्रेस वे और बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का पुल बनाया जाएगा। बिहार में इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए 26 हजार करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान है। अमृतसर-कोलकाता औद्योगिक कॉरिडोर के तहत गया में औद्योगिक केंद्र बनाया जाएगा। पीरपैंती में 21,400 करोड़ की लागत से 2400 मेगावॉट की क्षमता का पावर प्लांट बनेगा। पूर्वी राज्यों यानी बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और आंध्र प्रदेश के विकास के लिए पूर्वोदय स्कीम की घोषणा की गई है। इसके तहत रोजगार और बुनियादी विकास पर ध्यान दिया जाएगा। आर्थिक केंद्र डेवलप किए जाएंगे। रोड कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी। काशी की तर्ज पर बिहार के गया में विष्णुपद मंदिर और महाबोधि मंदिर कॉरिडोर बनाया जाएगा। आंध्रप्रदेश पुनर्गठन एक्ट के तहत विशाखापट्टनम-चेन्नई औद्योगिक कॉरिडोर में कोप्पार्थी और हैदराबाद-बेंगलुरु औद्योगिक कॉरिडोर में ओरवाकल के डेवलपमेंट के लिए फंड दिया जाएगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 25 हजार ग्रामीण बस्तियों को सभी मौसमों के अनुकूल सडक़ें प्रदान करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना चरण 4 का शुभारंभ किया जाएगा। बिहार में अक्सर बाढ़ आती रहती है। नेपाल में बाढ़ नियंत्रण संरचनाओं के निर्माण की योजना अभी तक आगे नहीं बढ़ पाई है। हमारी सरकार 11,500 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से वित्तीय सहायता प्रदान करेगी। असम, जो हर साल बाढ़ से जूझता है, उसे बाढ़ प्रबंधन और संबंधित परियोजनाओं के लिए सहायता मिलेगी। बाढ़ के कारण व्यापक नुकसान झेलने वाले हिमाचल प्रदेश को भी बहुपक्षीय सहायता के माध्यम से पुनर्निर्माण के लिए समर्थन मिलेगा। इसके अतिरिक्त, उत्तराखंड, जिसे भूस्खलन और बादल फटने से काफी नुकसान हुआ है, उसे भी मदद दी जाएगी।
स्वास्थ्य
बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने विकसित भारत के लिए 9 प्राथमिकताओं की घोषणा की, लेकिन स्वास्थ्य को इनमें जगह नहीं मिली है। सरकार ने कैंसर की 3 अहम दवाओं पर कस्टम ड्यूटी जीरो कर दी है। अब इन दवाओं के आयात पर किसी तरह का टैक्स नहीं लगेगा। इसकी वजह से कैंसर का इलाज सस्ता होगा। इसके अलावा वित्त मंत्री ने नए मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल खोलने की भी बात कही है। इस बजट से आयुष्मान भारत योजना में बड़ी राहत की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसी कोई बड़ी घोषणा नहीं हुई है। 2017 की नेशनल हेल्थ पॉलिसी में 2024-25 तक हेल्थ सेक्टर पर जीडीपी का 2.5 प्रतिशत खर्च करने का टारगेट था। इसमें केंद्र और राज्य सरकार, दोनों के खर्च शामिल थे। इस टारगेट को पूरा करने के लिए इस साल हेल्थ सेक्टर पर कुल 8.2 लाख करोड़ रुपए खर्च किया जाना चाहिए था। इसमें राज्य सरकार को 60 प्रतिशत और बाकी 40 प्रतिशत केंद्र सरकार को खर्च करना था। इस हिसाब से केंद्र का हेल्थ बजट हर साल 3.3 लाख करोड़ रुपए होना चाहिए था, जबकि इस बजट में 91 हजार करोड़ करोड़ रुपए दिए गए। यह जरूरत का सिर्फ 27प्रतिशत है।
रक्षा बजट
डिफेंस बजट 6 महीने पहले पेश हुए अंतरिम बजट का बहुत हद तक कॉपी है। सेना को खर्च के लिए 621940 करोड़ रुपए मिले हैं, जो अंतरिम बजट से महज 400 करोड़ रुपए यानी, 0.064 प्रतिशत ज्यादा है। इसमें हथियारों की खरीद और सैलरी-पेंशन को मिलने वाला बजट जस का तस है। 400 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी रक्षा मंत्रालय के हिस्से गई है। लगातार तीसरे साल कैपिटल बजट यानी, हथियारों की खरीद और सेना के मॉडर्नाइजेशन पर होने वाले खर्च में कटौती की गई है। डिफेंस बजट का 67.7 प्रतिशत हिस्सा रेवेन्यू और पेंशन बजट को मिला है, जिसका ज्यादातर हिस्सा सैलरी-पेंशन बांटने में खर्च होता है। रेवेन्यू बजट का सबसे बड़ा हिस्सा तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने में खर्च होता है। अब इसमें अग्निवीरों की सैलरी भी जोड़ दी गई है। इसके अलावा एक्स सर्विसमैन की हेल्थ स्कीम्स, मेंटेनेंस और रिपेयरिंग का खर्च भी रेवेन्यू बजट में शामिल होता है। इस साल रेवेन्यू बजट 2.82 लाख करोड़ रुपए है, जो कुल डिफेंस बजट का 45 प्रतिशत है। पिछले साल के मुकाबले 12652 करोड़ रुपए यानी महज 4.6 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2023-24 में रेवेन्यू बजट में 38 हजार करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई थी।
हथियार खरीदने के लिए 27.6 प्रतिशत बजट
कैपिटल बजट सेना का सबसे अहम पार्ट होता है। इसका ज्यादातर हिस्सा तीनों सेनाओं के मॉडर्नाइजेशन, फाइटर प्लेन, हथियारों की खरीद और सेना को मजबूत बनाने में खर्च होता है। वित्त मंत्री ने कैपिटल बजट में 1.72 लाख करोड़ रुपए अलॉट किए हैं, जो कुल बजट का 27.6प्रतिशत है। पिछले साल के मुकाबले करीब 9400 करोड़ रुपए यानी 5.7प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2023-24 में सरकार ने कैपिटल बजट में 6.5प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी। जबकि, 2022-23 में कैपिटल बजट में 12प्रतिशत का इजाफा हुआ था। पेंशन बजट में तीनों सेनाओं के रिटायर्ड सैनिकों की पेंशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल होता है। इस साल पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल डिफेंस बजट का 22.7प्रतिशत है। पिछले साल यह आंकड़ा 1.38 लाख करोड़ रुपए था। यानी, पेंशन बजट में सिर्फ 3 हजार करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है। देश में तीनों सेनाओं को मिलाकर रिटायर्ड सैनिकों की संख्या करीब 26 लाख है। सरहदी इलाकों में सडक़ बनाना, कोस्ट गार्ड, जम्मू कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, सेना की कैंटीन और हाउसिंग एक्सपेंडिचर जैसे खर्च इसमें शामिल होते हैं। यह डिफेंस बजट का सबसे छोटा पार्ट होता है। इस साल रक्षा मंत्रालय को 25563 करोड़ रुपए मिले हैं, जो पिछले साल के मुकाबले 2951 करोड़ रुपए ज्यादा है। तीनों सेनाओं में सैलरी बांटने के लिए 2.82 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 45 प्रतिशत है। पेंशन के लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए मिले हैं, जो कुल बजट का 22.7 प्रतिशत है। सैलरी और पेंशन के हिस्से को जोड़ दिया जाए, तो कुल डिफेंस बजट का 67.7 प्रतिशत है। पिछले साल सैलरी-पेंशन बांटने पर 70 प्रतिशत खर्च हुआ।
एमएसएमई सेक्टर के लिए बड़ी घोषणा
एमएसएमई सेक्टर के लिए भी सरकार ने कई बड़ी घोषणाएं की। जिसमें एमएसएमई सेक्टर को अंतर्राष्ट्रीय बाजार उपलब्ध करवाने और आसानी से लोन देने संबंधी कई घोषणाएं की गई है। सरकार ने घोषणा की है कि थर्ड पार्टी गारंटी के बगैर एमएसएमई सेक्टर को लोन उपलब्ध करवाया जाएगा। इसके लिए ऋण गारंटी योजना शुरू होगी। हर प्रत्येक आवेदक को 100 करोड़ रुपये तक का गारंटी कवर देने के लिए एक पृथक स्व-वित्त गारंटी निधि बनाई जाएगी। इसके अलावा एमएसएमई को उनके संकट की अवधि के दौरान बैंक ऋण जारी रखने की सुविधा के लिए एक नई व्यवस्था लाई जाएगी। खरीदारों को ट्रेड्स प्लेटफॉर्म पर अनिवार्य रूप से शामिल करने के लिए कारोबार की सीमा को 500 करोड़ से घटाकर 250 करोड़ किया जाएगा। एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित करने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी। इस कदम से 22 सीपीएसई और 7000 कंपनियां ही इस प्लेटफॉर्म पर आ आएगी। वित्त मंत्री ने कहा कि, एमएसएमई और पारंपरिक कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए पीपीपी मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे एमएसएमई क्षेत्र में 50 मल्टी-प्रोडक्ट फूड इरेडिएशन इकाइयां स्थापित होगी। साथ ही एनएबीएल मान्यता वाली 100 खाद्य गुणवत्ता और सुरक्षा परीक्षण प्रयोगशालाएं स्थापित होगी।
ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र बनेंगे
एमएसएमई तथा पारंपरिक कारीगरों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में अपने उत्पादों को बेचने में सक्षम बनाने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड में ई-कॉमर्स निर्यात केंद्र स्थापित किए जाएंगे।
मुद्रा ऋण
मुद्रा लोन की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये किया जाएगा। यह लोन उन उद्यमियों को भी दिया जाएगा, जिन्होंने ‘तरुण’ श्रेणी के लोन लिया है और पहले के लोन को चुका दिया है।
उद्योग के लिए
100 शहरों में या उसके आस-पास निवेश हेतु तैयार प्लग एंड प्ले औद्योगिक पार्क खोले जाएंगे। राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर विकास कार्यक्रम के अंतर्गत बारह औद्योगिक पार्कों को मंजूरी दी जाएगी।
शहरी विकास के लिए
30 लाख से अधिक आबादी वाले 14 बड़े शहरों के लिए आवागमन संबंधी विकास योजनाएं चलाई जाएगी। 1 करोड़ शहरी गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों को पीएम आवास योजना शहरी 2.0 के तहत कवर किया जाएगा औद्योगिक कर्मियों के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड में किराए के मकानों का निर्माण होगा।
अबकी बार, आंध्र-बिहार के लिए खुले भंडार
मोदी सरकार 3.0 के पहले बजट से पूर्व बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने से केंद्र के इनकार को लेकर सियासत गर्म रही। बजट से पहले विशेष राज्य के दर्जे को लेकर सवाल पर पटना में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा भी- सबकुछ धीरे-धीरे पता चलेगा। नजरें बजट पर टिकी थीं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जब बजट भाषण शुरू किया, बिहार और आंध्र प्रदेश के लिए भंडार खोल दिया जिनके समर्थन से सरकार चल रही है। वित्त मंत्री ने अपनी बजट स्पीच में ईस्टर्न रीजन के चहुंमुखी विकास के लिए पूर्वोदय योजना का ऐलान किया। इस योजना के तहत बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश भी आएंगे। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत मानव संसाधन, इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास होगा और आर्थिक अवसर उत्पन्न होंगे। इससे ये रीजन विकसित भारत के लिए इंजन बनकर सामने आएगा। उन्होंने अमृतसर-कोलकाता इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के तहत इंडस्ट्रियल लोड गया का विकास किया जाएगा। वित्त मंत्री ने पटना-पूर्णिया एक्सप्रेस-वे, बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेस-वे, बोधगया-राजगीर-वैशाली और दरभंगा स्पर्श के साथ ही बक्सर में गंगा नदी पर दो लेन का नया ब्रिज बनाने का भी ऐलान किया। इन परियोजनाओं पर 26 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। वित्त मंत्री ने भागलपुर जिले के पीरपैंती में 2400 मेगावाट के पावर प्लांट समेत 21 हजार 400 करोड़ रुपये की पावर परियोजनाओं का भी ऐलान किया। वित्त मंत्री ने नए एयरपोर्ट्स, मेडिकल कॉलेज और स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर के भी निर्माण का ऐलान किया और यह भी कहा कि बिहार सरकार के मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंकों से सहायता के अनुरोध में तेजी लाई जाएगी। उन्होंने गया में विष्णुपद कॉरिडोर के निर्माण का भी ऐलान किया। वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में आंध्र प्रदेश को लेकर कहा कि राज्य की पूंजी आवश्यकताओं को पहचानते हुए सरकार ने आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के प्रयास किए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार बहुपक्षीय एजेंसियों के माध्यम से विशेष वित्तीय सहायता देगी। वित्त मंत्री ने कहा कि भविष्य में अतिरिक्त राशि के साथ ही चालू वित्त वर्ष में 15 हजार करोड़ रुपये की व्यवस्था की जाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार पोलावरम सिंचाई परियोजना को जल्द पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह परियोजना आंध्र प्रदेश और इसके किसानों के लिए लाइफलाइन है। वित्त मंत्री ने विशाखापत्तनम-चेन्नई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लिए स्पेशल पैकेज का भी ऐलान किया।
नाबालिगों को मिला बड़ा तोहफा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में नाबालिगों के लिए राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू करने का ऐलान किया है। इस योजना को एनपीएस वात्सल्य के नाम से जाना जाएगा है। जब बच्चा 18 साल का हो जाएगा तो यह योजना नियमित एनपीएस खाते में बदल जाएगी। एनपीएस वात्सल्य योजना एक सामाजिक सुरक्षा योजना है जो राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत बनाई गई है। इस योजना का उद्देश्य विशिष्ट लाभार्थियों को वित्तीय सुरक्षा और पेंशन प्रदान करना है। माता-पिता और अभिभावकों के पास अब एनपीएस वात्सल्य के माध्यम से अपने बच्चों के लिए पेंशन की योजना बनाने का मौका है। नाबालिगों के लिए सुरक्षित वित्तीय भविष्य सुनिश्चित करने के लिए योगदान दिया जा सकता है।
एनपीएस वात्सल्य योजना के तहत, माता-पिता और अभिभावक अपने बच्चे की पेंशन के लिए योगदान कर सकते हैं। जब बच्चा 18 साल का हो जाता है, तो यह योजना अपने आप ही एक मानक एनपीएस खाते में बदल जाएगी। केंद्र सरकार ने सेवानिवृत्ति के दौरान व्यक्तियों को एक स्थिर आय प्रदान करने के लिए एनपीएस की शुरुआत की थी। इस पहल का उद्देश्य सेवानिवृत्ति की जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करना है। पेंशन फंड विनियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) पीएफआरडीए अधिनियम, 2013 के तहत एनपीएस की देखरेख और प्रबंधन करता है। यह सुनिश्चित करता है कि योजना एक विनियमित ढांचे के भीतर संचालित हो। एनपीएस वात्सल्य माता-पिता को कम उम्र से ही अपने बच्चों के भविष्य में निवेश करने की सुविधा देता है। नियमित रूप से योगदान करके, वे अपने बच्चे के वयस्क होने तक एक बड़ा पेंशन फंड बना सकते हैं। यह नई योजना परिवारों के बीच दीर्घकालिक वित्तीय नियोजन को बढ़ावा देने के कोशिश का हिस्सा है। यह माता-पिता को अपने बच्चों की वित्तीय स्थिरता को सुरक्षित करने का एक संरचित तरीका प्रदान करता है। कुल मिलाकर, एनपीएस वात्सल्य भविष्य की पीढिय़ों के लिए वित्तीय सुरक्षा को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह माता-पिता को अपने बच्चों की आर्थिक भलाई सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय कदम उठाने का अधिकार देता है।
शहरी विकास पर सरकार का विशेष ध्यान
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में शहरी विकास के उद्देश्य से कई जरुरी पहल की है। एक महत्वपूर्ण उपाय राज्यों को महिलाओं द्वारा खरीदी गई संपत्तियों पर स्टाम्प ड्यूटी कम करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस कदम से अधिक महिलाओं को रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने की उम्मीद है, जिससे संपत्ति के स्वामित्व में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा एक अन्य योजना में चुने गए शहरों में 100 साप्ताहिक हाट या स्ट्रीट फूड हब बनाना शामिल है। इन बाजारों का उद्देश्य छोटे विक्रेताओं और उद्यमियों को अपना सामान बेचने के लिए एक मंच प्रदान करके स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना है। इस पहल से शहरी क्षेत्रों की सांस्कृतिक जीवंतता को भी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। 30 लाख से अधिक आबादी वाले 14 बड़े शहरों में ट्रांजिट ओरिएंटेड डेवलपमेंट योजनाएं लागू की जानी हैं। ये योजनाएं अधिक कुशल और टिकाऊ शहरी वातावरण बनाने के लिए भूमि उपयोग और परिवहन योजना को एकीकृत करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं। ट्रांजिट स्टेशनों के पास उच्च घनत्व विकास को बढ़ावा देकर, टीडीपी का उद्देश्य यातायात की भीड़ को कम करना और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग में सुधार करना है। बजट में शहरी क्षेत्रों में जल प्रबंधन के महत्व पर भी जोर दिया गया है। यह 100 बड़े शहरों में जल आपूर्ति, सीवेज उपचार और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन से संबंधित परियोजनाओं को बढ़ावा देता है। इन परियोजनाओं को बैंक योग्य उपक्रमों के रूप में विकसित किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे वित्तीय रूप से व्यवहार्य और दीर्घकालिक रूप से टिकाऊ हों।