एक सर्वे में पता चला कि ज्यादातर महिलाओं की सैलरी पुरुष सहकमियों से 19 फीसदी कम होती है। इस सर्वे में 60 फीसदी वर्किंग औरतों का मानना था कि उनके साथ कार्यस्थल पर भेदभाव किया जाता है।
पुरुषों के मुकाबले महिलाओं का वेतन कितना कम?
सर्वे में एक तिहाई महिलाओं ने कहा कि उन्हें टाप मैनेजमेंट रोल के लिए बहुत मुश्किल से उनके नाम पर विचार होता है. 86 फीसदी महिलाओं का कहना था कि नौकरी के समय सुरक्षा उनके लिए सबसे अहम मामला होता है। सर्वे में अधिकांश महिलाओं ने कहा कि वो रात की पाली नही करना चाहती।
महिलाएं सबसे ज्यादा भेदभाव शादी के बाद दफ्तर में अनुभव करती हैं। 47 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनके बारे में मान लिया जाता है कि शादी हो गई मतलब अब वो काम के लेकर गंभीर नही हैं। 46 फीसदी ने कहा कि मैटरनिटी के बाद माना जाता है कि वो नौकरी छोड़ देंगी। इतना ही नही 47 फीसदी महिलाओं ने बताया कि उनके बारे में एक ये धारणा भी बना ली जाती है कि वो पुरुषों के बराबर घंटे आफिस में नही दे सकती हैं। सर्वे में एक तिहाई महिलाओं ने कहा कि प्रबंध जेंडर इक्वेलिटी (सबको समान मानने) की बात तो करता है पर ये कार्यशैली में नही झलकता।
सर्वे में एक तिहाई महिलाओं ने माना कि मैटरनिटी बिल के बाद दफ्तरों में क्रेच सुविधा अनिवार्य किया जाना महिलाओं को वर्कफोर्स में डटे रहने में मदद करेगा हालांकि सर्वे में आधी से ज्यादा महिलाओं ने कहा कि मैटरनिटी से लौटने के बाद दफ्तर ने उन्हें फ्लैक्सीबिल वर्क स्ट्रक्चर की सुविधा नही दी।