पेरिस। मस्क की मंशा है कि ओपनएआई हथिया लेने के बाद अपनी एआई कंपनी में मर्ज कर दिया जाए और दुनिया भर में लोहा मनवा लें। इस लड़ाई का असर पेरिस में होने वाले एआई समिट में जरूर दिखेगा। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने पीएम नरेंद्र मोदी को इसके लिए विशेष तौर पर बुलाया है। चीन इस फील्ड में तेजी से आगे बढ़ रहा है लेकिन एआई पर ग्लोबल एप्रोच और टेक सुपरपॉवर के तौर पर भारत की अहमियत बरकरार है। हाल ही में ऑल्टमैन दिल्ली में थे जहां अश्विनी वैष्णव से उन्होंने मुलाकात की थी। ऑल्टमैन ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भारत सरकार के साथ काम करने की इच्छी भी जताई थी। मोदी पेरिस समिट को को-चेयर करेंगे। दोनों देशों की दोस्ती राफेल डील से पुरानी है। 1998 में दिल्ली के विज्ञान भवन में तबके फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक ने कहा था – 21 वीं सदी के लिए हमारी पार्टनरशिप बहुत जरूरी है।
एलन मस्क ने ट्विटर वाला दांव खेला है। जैक डोर्सी के साथ जो मस्क ने जो किया वो सैम ऑल्टमैन के साथ आजमा रहे हैं। दोनों में एक फर्क है। ट्विटर के वैल्यूएशन को लेकर लड़ाई लंबी चली और 44 अरब डॉलर में सौदा हुआ। मस्क ने जो ठान लिया वो कर दिखाया। ये सिर्फ दुनिया के सबसे बड़े सोशल प्लेटफॉर्म को हथियाने की जिद थी। चैटजीपीटी से मस्क का नाता कुछ अलग है। वो तो इसके जन्मदाता हैं। 2015 में ओपन एआई स्टार्टअप ऑल्टमैन के साथ उन्होंने ही शुरू किया था। बाद में निकल गए। नॉनप्रॉफिट मामला था। मस्क को क्या पता कि इस ओपन एआई की वैल्यूएशन 300 अरब डॉलर हो जाएगी। हाल ही में जापान के सॉफ्ट बैंक ने ये दाम लगाया। खैर, मस्क की पेशकश पर सैम ऑल्टमैन ने कहा है – नो थैंक्यू, आप बोलो तो ट्विटर 9.7 अरब डॉलर में मुझे बेच दो। ये सब तब हो रहा है जब पेरिस में एआई पर ग्लोबल समिट शुरू होने वाला है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां पहुंच चुके हैं।
एलन मस्क ने ये बोली खुद नहीं लगाई है। उनके साथ कुछ और कंपनियों की टोली है। जेनरेटिव एआई के फील्ड में लीड लेने के लिए मस्क ने 2023 में एआई बनाया था लेकिन ये टेक ऑफ नहीं कर सका है। मस्क और ऑल्टमैन पहले से ही कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं। मस्क का कहना है कि ओपन एआई नॉन प्रॉफिट मकसद से पब्लिक के हित में शुरू हुआ था जिसे प्रॉफिट कमाने वाली कंपनी में तब्दील करना मुनासिब नहीं है। प्रेस रिलीज में मस्क ने कहा है कि अब समय आ गया है कि ओपन एआई वास्तव में ओपन सोर्स (यानी सबके लिए बिना पैसे के उपलब्ध) हो जाए।