सोनिया शर्मा
नई दिल्ली। दुष्कर्म के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कर दिया कि शादी हुई हो या नही,यदि सेक्स सहमति से हुआ है तो गलत नही माना जा सकता है। अदालत का कहना है कि अगर दो वयस्क सहमति से यौन गतिविधियों में शामिल होते हैं, तो गलत काम के लिए जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता है। अदालत ने पुरुष को रेप केस में जमानत दे दी। इस दौरान कोर्ट ने यह भी कहा कि यौन अपराध से जुड़े झूठे केस आरोपी की छवि को खराब करते हैं। जस्टिस अमित महाजन मामले की सुनवाई कर रहे थे। लाइव ला की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने कहा, समाज के मानदंड तय करते हैं कि आदर्श रूप से यौन संबंध शादी के दायरे में होने चाहिए। अगर दो वयस्कों के बीच सहमति से यौन गतिविधियां हो रही हैं, तो गलत काम के लिए जिम्मेदार नही बताया जा सकता। फिर चाहे उनकी वैवाहिक स्थिति कुछ भी हो।
कोर्ट ने कहा कि यौन अपराध के झूठे केस आरोपी की छवि खराब करते हैं और साथ ही वास्तविक मामलों की विश्वनीयता भी खत्म करते हैं। अदालत ने रेप केस में युवक को जमानत दे दी। रिपोर्ट के अनुसार, महिला ने आरोप लगाए थे कि पुरुष ने उसके साथ कई बार जबरन यौन संबंध बनाए थे और शादी का वादा किया था। कोर्ट ने कहा, जमानत पर विचार करते समय किसी नतीजे पर पहुंचना कोर्ट के लिए न ही संभव है और न उचित है। नतीजे पर पहुंचना कि शादी का वादा झूठा था और बगैर इसे मानने के इरादे के गलत विश्वास के साथ किया गया था। इस तरह का निर्धारण सबूतों के मूल्यांकन के बाद होने चाहिए। महिला ने ये आरोप भी लगाए कि बाद में उसे आरोपी के शादीशुदा होने और 2 बच्चों की जानकारी मिली। महिला का दावा है कि पुरुष उससे गिफ्ट्स मांगता था और कथित तौर पर उसने पुरुष को 1.5 लाख रुपये कैश भी दिए हैं। कोर्ट का कहना है कि महिला कथित घटना के समय बालिग थी। साथ ही कहा कि जमानत के समय यह स्थापित नही किया जा सकता कि शादी के वादे से उसकी सहमति प्रभावित हुई थी। कोर्ट ने इसे जांच का विषय माना है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, जाहिर तौर पर पीड़िता शिकायत दर्ज कराने के कुछ समय पहले तक आवोदक से मिल रही थी और शादीशुदा होने की जानकारी के बाद भी रिश्ता जारी रखना चाहती थी।