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मां को ही देखकर शिवानी ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से प्रभावित हुई /02 May 2024 12:41 PM/    25 views

ब्रह्माकुमारीज़ की मोटिवेशनल स्पीकर का देवभूमि में आना

 प्रायः टेलीविजन पर सभी ने फ़िल्म अभिनेता सुरेश ओबेराय को ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से जुड़ी राजयोगिनी बीके शिवानी का इंटरव्यू लेते हुए देखा होगा। सहज भाव से सुरेश ओबेराय जिज्ञासा व्यक्त करते है,उतनी ही सहजता से शिवानी जिज्ञासा का समाधान भी करती है। उनकी वार्तालाप का मुख्य विषय जीवन प्रबंधन रहा है।तभी तो ब्रह्मा कुमारी शिवानी बहन घर-घर में जाना पहचाना नाम बन गई हैं। पहली बार जुलाई सन 2007 में ब्रह्माकुमारीज के टेलीविजन कार्यक्रम अवेकनिंग में शिवानी नज़र आई ,तो लोगो ने उन्हें आध्यात्मिक प्रेरक के रूप में स्वीकार किया। उन्होंने नैतिक मूल्यों, आत्म-प्रबंधन, आंतरिक शक्तियों, रिश्तों में सामंजस्य, कर्म के नियम को समझने, उपचार, आत्म-सशक्तीकरण पर कई कार्यक्रम दिए। आत्म-अनुशासन, आध्यात्मिकता और जीवन जीने की कला को सरल शब्दों में परोसने वाली शिवानी देखते ही देखते मोटिवेशनल स्पीकर बन गई। जिन्हें सुनकर बड़ी संख्या में लोग लाभान्वित हुए । ब्रह्माकुमारी शिवानी का जन्म 31 मई सन 1972 को पुणे में हुआ था । वे विज्ञान विषय की मेधावी छात्रा रही। उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय में साफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई भी की, इसी दौरान, सन1994 में उनकी लौकिक माँ ब्रह्मा कुमारीज़ के एक स्थानीय राजयोग केंद्र जाने लगी। मां को ही देखकर शिवानी ब्रह्माकुमारीज़ संस्था से प्रभावित हुई। इसी बीच उन्होंने विशाल वर्मा से शादी करने के साथ ही अपना साफ्टवेयर व्यवसाय भी शुरू किया जो 2004 तक चलता रहा। इसके बाद उन्होंने ब्रह्माकुमारीज़ के ईश्वरीय परिवार में शामिल होकर पवित्रता को अपनाया, उन्होंने ग्रहस्थ में रहते हुए ही संत जैसा जीवन जीना शुरू किया। यही वह अपने व्याख्यानों में भी सिखाती है।
ब्रह्माकुमारीज के साथ जुड़ने से पहले शिवानी भी गुस्से की समस्या से जूझती थी और उनका अपनी मां के साथ विवाद तक हो जाता था। लेकिन अपनी मां के व्यवहार और व्यक्तित्व में सकारात्मक अंतर देखकर, शिवानी ने कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद ब्रह्माकुमारीज़ के एक क्षेत्रीय सेवा केंद्र पर जाकर 7 दिनों का ब्रह्माकुमारीज़ कोर्स करने का फैसला किया और फिर सप्ताह में एक या दो बार ब्रह्माकुमारीज़ सेवा केंद्र में जाने भी लगी। शिवानी ने राजयोग ध्यान का अभ्यास करना शुरू किया ,इस दौरान उन्हें गहरी शांति, प्रेम और भगवान के साथ आध्यात्मिक संबंध होता हुआ महसूस हुआ। धीरे-धीरे उन्हें एहसास हुआ कि वास्तव में भगवान ही ब्रह्माकुमारीज़ में सीधे शिक्षा दे रहे हैं। वह प्रतिदिन बिना रुके मुरली यानि ईश्वरीय वाणी पढ़ने लगी । शिवानी ने विज्ञान के अपने ज्ञान का उपयोग मुरली के माध्यम से भगवान द्वारा दिए गए आध्यात्मिक ज्ञान के गहरे रहस्यों को समझने के लिए किया। जिससे वह ब्रह्माकुमारीज़ के स्वर्णिम युग लाने के मिशन में शामिल हो गईं। शिवानी ने पुणे में 3 साल तक भारतीय विद्यापीठ कालेज में व्याख्याता के रूप में कार्य भी किया। ब्रह्माकुमारीज़ के माध्यम से उन्हें स्वयं के बारे में जानने व एक आत्मा के रूप में स्वयं को पहचानने का अवसर मिला। प्रशिक्षण के दौरान उन्हें बताया गया कि  परमात्मा, हमारे आध्यात्मिक पिता हैं, जिन्हें हम भगवान कहते हैं। हम सभी उनके प्यारे बच्चे हैं... भगवान कब आएंगे? बेशक, जब दुनिया अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाएगी ,तब परमपिता को संपूर्ण मानवता का उत्थान करने और सच्चे धर्म को फिर से स्थापित करने के लिए धरा पर आना होगा और वह समय अब घ्घ्आ गया है ।शिवानी, स्वयं को एक आत्मा के रूप में मानने को लेकर तो आश्वस्त थीं, लेकिन उन्हें यह स्वीकार करने में कठिनाई हो रही थी कि भगवान वास्तव में आए हैं और ज्ञान प्रदान कर रहे हैं ,इसके लिए उनका वरिष्ठ ब्रह्माकुमारीज़ बहनों द्वारा मार्गदर्शन किया गया। राजयोग करते हुए ध्यान के दौरान एक बार उन्हें भगवान की उपस्थिति का अनुभव हुआ तो उन्होंने इस ज्ञान को और समझने का फैसला किया। इस तरह शिवानी ,प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से हमेशा के लिए जुड़ गई। शिवानी ने ईश्वर के अस्तित्व को समझने के लिए विज्ञान के ज्ञान का भी उपयोग किया। स्वयं को ऊर्जा के एक दिव्य बिंदु, एक आत्मा के रूप में महसूस करने और अनुभव करने के बाद, वह अब सर्वोच्च आत्मा, जो हमारे आध्यात्मिक पिता हैं, के साथ हमारे रिश्ते को गहराई से समझ गई है और दूसरों को भी समझा रही है। बीके शिवानी अपने परिवार के साथ हरियाणा के गुरुग्राम में रहती हैं। वह ब्रह्माकुमारीज़ की ओर से विभिन्न सम्मेलनों और आयोजनों में जीवन पर नियंत्रण, संबंध प्रबंधन, कर्म का नियम, आत्म-प्रबंधन और सुखी जीवन के लिए आध्यात्मिक ज्ञान जैसे विषयों पर बोलती है। शिवानी स्कूलों, कालेजों, कंपनियों और अस्पतालों के लिए आयोजित आध्यात्मिक सेमिनारों के लिए भारत और भारत से बाहर की यात्रा करती रहती हैं। इसी के तहत वे देवभूमि उत्तराखंड आ रही है और हरिद्वार व रुड़की में वाह जिदगी वाह कार्यक्रम में व्याख्यान देंगी। 

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