Sat, Apr 26, 2025

Home/ स्वास्थ्य / विश्व शांति में शांति रक्षकों की भूमिका

विश्व शांति में शांति रक्षकों की भूमिका

(संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस (29 मई) पर विशेष)

28 May 2024 01:23 PM 92 views

विश्व शांति में शांति रक्षकों की भूमिका

संयुक्त राष्ट्र एक ऐसा अंतर्राष्ट्रीय संगठन है, जो अपनी स्थापना के बाद से ही विश्व शांति के साथ-साथ मानवाधिकार, अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आथि्र्ाक विकास, सामाजिक प्रगति तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों को सुविधाजनक बनाने के लिए कार्यरत रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा 29 मई 1948 को पहला संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन स्थापित किया गया था। उस समय इजरायल तथा अरब देशों के बीच फैली अशांति को दूर करने के लिए वहां यूएन द्वारा शांति रक्षक सैनिकों की तैनाती की गई थी। संयुक्त राष्ट्र द्वारा अफ्रीका, अमेरिका, एशिया, यूरोप तथा मध्य पूर्व में 71 शांति अभियानों की स्थापना की गई। दुनियाभर में शांति बहाल करने में संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों की अहम भूमिका रहती है, जो कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अपनी जान दांव पर लगाकर कार्य करते रहे हैं और फिलहाल विश्वभर में एक लाख से भी अधिक पुरूष व महिला बतौर शांति रक्षक यूएन के शांति अभियानों में संलग्न हैं। संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन में सबसे ज्यादा संख्या इथोपिया और बांग्लादेश के शांति रक्षकों की है और इन दोनों देशों के बाद इसमें सर्वाधिक योगदान देने वाले देशों में भारत है। फिलहाल सात हजार से भी अधिक भारतीय सैन्य और पुलिस जवान अफगानिस्तान, कांगो, हैती, लेबनान, लाइबेरिया, मध्य पूर्व, साइप्रस, दक्षिण सूडान, पश्चिम एशिया और पश्चिम सहारा में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशनों में शांति रक्षा के लिए तैनात हैं।
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2002 में प्रस्ताव संख्या ए/ईएस/57/129 के जरिये आम नागरिकों की सुरक्षा के लिए पहली बार ‘शांति रक्षा मिशन’ को अधिकार दिए गए और 29 मई को ‘शांति रक्षक दिवस’ के रूप में नामित किया गया, तभी से प्रतिवर्ष इसी दिन को ‘संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र की अपनी कोई स्वतंत्र सेना नहीं होती और शांति रक्षा का प्रत्येक कार्य सुरक्षा परिषद द्वारा अनुमोदित होता है। यूएन के शांति रक्षा कार्यों में भाग लेना वैकल्पिक होता है और कनाडा तथा पुर्तगाल ही विश्व में अब तक सिर्फ दो ऐसे देश हैं, जिन्होंने प्रत्येक शांति रक्षा अभियान में हिस्सा लिया है। शांति रक्षक दल संयुक्त राष्ट्र को उसके सदस्य देशों द्वारा प्रदान किए जाते हैं, जो प्रायः ऐसे क्षेत्रों में भेजे जाते हैं, जहां हिंसा कुछ समय पहले से बंद है ताकि वहां शांति संघ की शर्तों को लागू रखते हुए हिंसा को रोककर रखा जा सके।
यूएन का शांति रक्षा मिशन इस साल अपनी 76 वी सालगिरह मना रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस का कहना है कि दुनिया भर में हिसक संघर्षों में फंसे लाखों लोगों के लिए शांति रक्षा एक आवश्यकता एवं आशा है तथा शांति रक्षा को और ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए जरूरत है कि हम सब मिलकर इसके लिए काम करें ताकि लोगों को सुरक्षा दी जा सके और शांति को बढ़ावा मिल सके। उनका कहना है कि वैश्विक शांति और सुरक्षा में संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा एक अहम निवेश है लेकिन इसके लिए मजबूत अंतर्राष्ट्रीय संकल्प चाहिएं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा ‘एक्शन फार पीस कीपिग’ पहल की शुरूआत की गई है, जिसका मूल उद्देश्य यूएन मिशनों को मजबूत, सुरक्षित और भविष्य के लिए उपयुक्त बनाना है।
अंतर्राष्ट्रीय संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षक दिवस वैश्विक शांति के लिए अपने प्राणों की आहूति देने वाले ऐसे संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षकों की स्मृति के सम्मान में मनाया जाता है, जिन्होंने शांति स्थापना में अपने प्राणों का बलिदान दे दिया। इस दिन संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रबंधन कार्यों में अपने उच्च स्तर की व्यावसायिकता, समर्पण और साहस का प्रदर्शन करते अपनी जान गंवाने वाले शांति रक्षकों को श्रद्धांजलि दी जाती है। शांति रक्षकों को मरणोपरांत ‘डैग हैमारस्जोल्ड मैडल’ प्रदान किया जाता है। यह पदक कर्त्तव्य निर्वहन के दौरान अदम्य साहस और बलिदान के लिए दिया जाता है। इस सम्मान की स्थापना वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र के दूसरे महासचिव डैग हैमारस्जोल्ड की स्मृति में की गई थी, जिनकी 1961 में एक विमान हादसे में मौत हो गई थी। शांति रक्षक अत्यधिक जोखिम उठाते हुए प्रतिदिन विभिन्न देशों में पुरूषों, महिलाओं और बच्चों की हिसा से रक्षा करते हैं। यूएन के पिछले 76 वर्षों के शांति रक्षक अभियानों में जहां अब तक दुनियाभर के चार हजार से भी ज्यादा शांति रक्षकों ने अपने प्राणों की आहूति दी, वही इनमें भारत के शहीद हुए शांति रक्षकों की संख्या करीब दो सौ है, जो किसी भी अन्य देश के मुकाबले सर्वाधिक है।