सुनील शर्मा
नईदिल्ली । भारतीय कार बाजार में कई महंगी कारें उपलब्ध हैं, लेकिन सस्ती कारों की हमेशा ज्यादा मांग रही है। हम आपको भारत में किफायती कार ज्यादा बिकने के 5 प्रमुख कारण बताते हैं। भारत में प्रति व्यक्ति आय अपेक्षाकृत कम है। इसका मतलब है कि अधिकांश लोग महंगी कारों को वहन नही कर सकते हैं। सस्ती कारें उनके बजट में फिट बैठती हैं और उन्हें अपनी जरूरतों के अनुसार आने-जाने की सुविधा प्रदान करती हैं। भारत में पेट्रोल-डीजल हो या सीएनजी, इनकी कीमतें अपेक्षाकृत ज्यादा हैं। इसलिए भारतीय खरीदार ज्यादा माइलेज वाली कारों को प्राथमिकता देते हैं, जो सस्ती कारों में आम तौर पर पाई जाती हैं। सस्ती कारों को आम तौर पर कम रखरखाव की आवश्यकता होती है, जो उन्हें लंबे समय में अधिक किफायती बनाती है। भारत में ज्यादातर लोग शहरों में रहते हैं। शहरों में खास तौर पर सड़कों पर भारी ट्रैफिक होता है और छोटी दूरी की यात्रा आम होती है। सस्ती कारें आमतौर पर छोटी और हल्की होती हैं, जो उन्हें शहरों में चलाने और पार्क करने में आसान बनाती हैं।भारतीय समाज में कारें अक्सर सोशल स्टेटस का प्रतीक मानी जाती हैं। हालांकि, सस्ती कारें भी मालिकों को एक निश्चित स्तर की स्वतंत्रता और गतिशीलता प्रदान करती हैं, जो उनके लिए महत्वपूर्ण है। सरकार सस्ती कारों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहल कर रही है। उदाहरण के लिए, सरकार ने छोटी कारों पर करों को कम किया है और आटो लोन पर सब्सिडी प्रदान की है। भारतीय कार बाजार में सस्ती कारों की एक पूरी सीरीज उपलब्ध है। अलग-अलग कार कंपनी विभिन्न प्रकार की सुविधाओं और प्राइस पाइंट के साथ सस्ती कारों की पेशकश करते हैं, जिससे खरीदारों को अपनी जरूरतों और बजट के अनुसार कार चुनने की स्वतंत्रता मिलती है। यह अनुमान लगाया जा सकता है कि आने वाले वर्षों में भारत में सस्ती इलेक्ट्रिक कारों की मांग बढ़ेगी। बता दें कि भारत दुनिया की सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है और इस विकासशील देश में आटोमोबाइल इंडस्ट्री एक महत्वपूर्ण बाजार है। यहां कारें न केवल एक लग्जरी आइटम हैं, बल्कि कई लोगों के लिए परिवहन का एक जरूरी साधन भी हैं।