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धन का भार

हर किसी की सहायता करना चाहिए

29 Apr 2024 09:51 AM 113 views

धन का भार

पाटलिपुत्र में नाभिकुमार की गिनती सबसे संपन्न लोगों में होती थी। लेकिन अपार धन-संपत्ति होते हुए भी उन्होंने कभी दान नही दिया था। कई लोगों ने उन्हें इस बारे में कहा था पर उन्होंने ध्यान नही दिया। एक रात उनके घर चोर ने सेंध लगाई। उसने सावधानी से घर का कीमती सामान एकत्र किया और उसकी एक बड़ी पोटली बनाई। पोटली सिर पर रखते ही वह गिर गई और आवाज होते ही नाभिकुमार की आंखें खुल गईं।  चोर के पास आए और पोटली उठाने में उसकी मदद करने लगे। चोर को डर से कांपते हुए देखकर नाभिकुमार ने उससे कहा-डरो मत, तुम यह सब ले जा सकते हो। मगर तुम भी मेरे ही जैसे लगते हो। मैंने भी अपने जमा धन से किसी और के लिए कुछ नही निकाला। इसलिए मेरा धन भी मुझ पर भार की तरह है। अगर तुम भी मेरी तरह नही करते और पोटली में से थोड़ा सामान निकाल लिए होते तो तुम्हारे लिए इसे उठाना आसान हो जाता। खैर, तुम अब यह सामान ले जा सकते हो। चोर यह सुनकर दंग रह गया।  उसने प्रायश्चित करने के उद्देश्य से कहा- आप यह सब वापस ले लीजिए और मुझे क्षमा कीजिए। नाभिकुमार ने कहा- तुम्हें एक ही शर्त पर क्षमा किया जा सकता है। तुम इसमें से कुछ धन ले लो और कोई काम-धंधा शुरू कर दो। इस प्रकार मेरा धन परोपकार के काम में लग जाएगा और तुम्हारा जीवन भी सुधर जाएगा। चोर ने वैसा ही किया। नाभिकुमार उस दिन से हर किसी की सहायता करने लगे।