बाबा अमरनाथ यानि बर्फानी बाबा के दर्शनों के लिए श्रद्धालु पूरे साल अमरनाथ यात्रा का इंतजार करते हैं। लंबी पर्वतीय यात्रा के बाद श्रद्धालुओं को किसी तरह से बाबा बर्फानी के दर्शन होते हैं तो श्रद्धालु स्वयं को धन्य समझते है।लेकिन इस बार यात्रा शुरू हुए अभी कुछ ही समय बिता है और बाबा बर्फानी धीरे धीरे पिघलते हुए अंतर्ध्यान हो गए हैं। इस साल अमरनाथ यात्रा 29 जून को ही शुरू हुई थी। जबकि 6 जुलाई को अमरनाथ गुफा में बर्फ से बना शिवलिंग जिसे हिमलिंग भी कहते है, पिघलकर अंतर्ध्यान हो गया है।अमरनाथ यात्रा शुरू होने के बाद 10 दिन से भी कम समय में बाबा बर्फानी के अदृश्य होने का जिम्मेदार एक तरफ जहां गर्मी को माना जा रहा है,वही श्रद्धालुओं की भीड़ से उत्पन्न गर्मी भी इसका एक बड़ा कारण है।अमरनाथ गुफा के भीतर शिवलिंग का निर्माण प्राकृतिक रूप से बर्फ द्वारा होता है।गर्मियों में इस गुफा के अंदर मौजूद पानी जमकर शिवलिंग का आकार ले लेता है। हाल ही में कश्मीर घाटी का अधिकतम तापमान 35.7 डिग्री तक दर्ज किया गया, जो सामान्य से 7.9 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था, अमरनाथ गुफा के पुजारियों का कहना है कि गर्मी की वजह से ही बाबा बर्फानी अबकी बार जल्दी पिघल गए।ऐसा पहली बार ही नहीं हुआ, बल्कि बर्फ के बाबा तीर्थ यात्रा पूरी होने से पहले ही कई बार विलुप्त हुए हैं।सन 2006 में यात्रा शुरू होने से पहले ही बाबा का स्वरूप पिघल गया था।सन 2004 में तीर्थ यात्रा की शुरुआत के 15 दिनों में ही बाबा विलुप्त हो गए थे। इसी तरह सन 2013 में 22 दिन में और 2016 में 13 दिनों में हिमलिंग पिघल गया था।सन 2006 में तो यात्रा शुरू होने से पहले ही बाबा बर्फानी विलुप्त हो गए थे। श्रीअमरनाथ श्राइन बोर्ड ने इसका कारण तलाशने की कोशिश की थी, बोर्ड के अनुरोध पर सेना के हाई एल्टीट्यूड वारफेयर स्कूल और स्नो एंड एवलांच स्टडीज इस्टेब्लिशमेंट ने बाबा बर्फानी पर एक अध्ययन किया था। जिसपर पाया गया कि अमरनाथ गुफा के आसपास तापमान में बढ़ोतरी शिवलिंग पिघलने का प्रमुख कारण है। इसके अलावा गुफा में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या, गुफा के आसपास बढ़तीं मानवीय गतिविधियां भी इसके लिए जिम्मेदार हैं।हर श्रद्धालु गुफा में करीब 100 वाट ऊर्जा उत्सर्जित करता है, अमरनाथ यात्रा के दौरान लगभग 250 आस्थावान पवित्र गुफा में एक समय में रहते हैं। अमरनाथ गुफा का वेंटिलेशन लोड करीब 36 किलोवाट बताया गया है, यानी जितने ज्यादा लोग वहां पहुंचते हैं, उतनी ज्यादा ऊर्जा गुफा में पैदा होती है, जो सीधे बाबा बर्फानी पर असर करती है।बाबा बर्फानी के आस-पास पहुंचने वाले लोगों की संख्या सीमित की जानी चाहिए. हालांकि, लोगों की आस्था को देखते हुए यह कितना कारगर होगा, यह भी एक बड़ा सवाल है। इसके अलावा गुफा के आसपास मशीनों आदि के इस्तेमाल पर भी रोक लगनी चाहिएपहाड़ी इलाकों में भी इस बार गर्मी बढ़ी है। ग्लोबल वार्मिंग रोकने के लिए पूरी दुनिया को प्रकृति की ओर लौटना होगा और बढ़ते कंक्रीट के जंगलों और मशीनों के इस्तेमाल को रोकना होगा।फिलहाल तो पूरी दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग पर चिंताएं जताई जा रही हैं फिर भी इंसान कोई सबक लेने को तैयार नहीं दिखता। ऐसे में प्राकृतिक आपदाओं और भीषण गर्मी का सामना करना ही पड़ेगा।बारिश होने पर तापमान घटता है पर ऐसा इस बार घाटी में भी नहीं हुआ। बारिश कम हुई, जिसके कारण तापमान लगातार ज्यादा बढ़ा रहा।इसके अलावा बाबा के दर्शन करने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। घोड़ों और खच्चरों के साथ ही साथ हेलीकॉप्टर की उड़ानें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं,जिससे हम कह सकते है कि पवित्र गुफा और यात्रा मार्ग पर खान-पान से लेकर अन्य सेवाएं देने वाले लोग, सुरक्षा के लिए तैनात बलों और उपकरणों का असर भी तापमान पर पड़ रहा है।
बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए इस बार भी लोगों में भारी उत्साह दिख रहा है। पिछले साल यानी 2023 में जहां करीब साढ़े चार लाख लोगों ने अमरनाथ यात्रा पूरी कर बाबा के दर्शन किए गए, वहीं इस बार छह लाख लोगों के पवित्र यात्रा करने का अनुमान है। अभी एक सप्ताह ही बीता है और डेढ़ लाख से ज्यादा श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं।बर्फानी बाबा के अंतर्ध्यान होने के बावजूद श्रद्धालुओं के उत्साह में कमी नही आई और वे पवित्र गुफा के दर्शन से ही तृप्त हो रहे है।